सीजी भास्कर, 4 नवंबर। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आने वाले महीनों में रेपो रेट में 25 से 50 आधार अंकों की कटौती (RBI Interest Rate Outlook) कर सकता है। कोटक सिक्योरिटीज की एक नई रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है कि हाल ही में जीएसटी दरों में कटौती, कच्चे तेल की स्थिर कीमतें और मुद्रास्फीति में नरमी ने मौद्रिक नीति को सहज बनाए रखने की संभावनाओं को बढ़ा दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि संभावित ब्याज दरों में कटौती का सही समय और मात्रा तय करना केंद्रीय बैंक के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय (RBI Interest Rate Outlook) होगा ताकि मौद्रिक ढील का अधिकतम प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़े।
अक्टूबर में हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया था, जो लगातार तीसरी बार अपरिवर्तित है। समिति ने सर्वसम्मति से यह फैसला किया था कि फिलहाल महंगाई और विकास के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है।
जीएसटी दरों में कटौती का असर दिखने लगा
रिपोर्ट के मुताबिक, हालिया जीएसटी दर कटौती का असर सीपीआई बास्केट की कई वस्तुओं पर आंशिक रूप से दिखने लगा है। यह प्रवृत्ति अक्टूबर के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आंकड़ों में और स्पष्ट रूप से नजर आ सकती है।
कोटक सिक्योरिटीज ने अपने मुद्रास्फीति पूर्वानुमान (RBI Interest Rate Outlook) को थोड़ा संशोधित किया है — अब वित्त वर्ष 2026 के लिए 2.1% (पहले 2%) और वित्त वर्ष 2027 के लिए 4.1% (पहले 4%) रहने का अनुमान है।
संतुलित नीति की ओर RBI
रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले महीनों में भारतीय रिजर्व बैंक का नीतिगत दृष्टिकोण विकास और मुद्रास्फीति दोनों के बीच संतुलन बनाए रखने पर केंद्रित रहेगा। यदि मुद्रास्फीति का रुझान नियंत्रित रहता है, तो केंद्रीय बैंक 2026 की पहली तिमाही में ब्याज दरों में क्रमिक कटौती शुरू कर सकता है।
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि ब्याज दरों में कमी से उपभोक्ता ऋण, रियल एस्टेट, ऑटो और एमएसएमई सेक्टर को राहत मिलेगी और निवेश में भी सुधार आएगा। हालांकि, आरबीआई किसी भी जल्दबाजी से बचते हुए यह सुनिश्चित करना चाहेगा कि महंगाई पूरी तरह नियंत्रण में रहे।
