सीजी भास्कर, 04 नवंबर। देश में ऑनलाइन गेमिंग कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक दिलचस्प स्थिति बनी। जब एक याचिकाकर्ता ने कहा कि वह ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming Law Case) के जरिए ही अपनी जीविका चलाता है और उसकी याचिका सूचीबद्ध नहीं की गई, तो अदालत ने टिप्पणी की कि भारत एक अजीब देश है
आप खिलाड़ी हैं, आप खेलना चाहते हैं। यह आपकी आय का एकमात्र स्रोत है और इसलिए आप कार्यवाही में शामिल होना चाहते हैं। इस टिप्पणी के साथ अदालत ने केंद्र सरकार को मुख्य याचिका पर विस्तृत जवाब दाखिल करने (Online Gaming Law Case) का निर्देश दिया।
केंद्र से मांगा विस्तृत जवाब, याचिकाओं को किया एकत्र
जस्टिस जे.बी. पार्डीवाला और के.वी. विश्वनाथन की पीठ को सूचित किया गया कि केंद्र ने अंतरिम अनुरोधों पर अपना जवाब दाखिल कर दिया है। इस पर अदालत ने कहा हम चाहते हैं कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मुख्य याचिका पर भी एक समग्र जवाब दाखिल करें। साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि सभी याचिकाकर्ताओं को केंद्र का जवाब उपलब्ध कराया जाए ताकि वे चाहें तो प्रत्युत्तर दाखिल कर सकें। अगली सुनवाई 26 नवंबर को तय की गई है।
मैं शतरंज खिलाड़ी हूं, यह मेरी आजीविका है
सुनवाई के दौरान एक वकील ने कहा कि उन्होंने एक नई रिट याचिका दायर की है जो सूचीबद्ध नहीं हुई। उन्होंने अदालत को बताया मैं एक शतरंज खिलाड़ी हूं। यह मेरी आजीविका का साधन है और मैं एक एप लॉन्च करने वाला था। वकील ने बताया कि वह विभिन्न कंपनियों द्वारा आयोजित ऑनलाइन टूर्नामेंट्स (Online Gaming Law Case) में भाग लेते हैं और इसके लिए शुल्क भी अदा करते हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि उनकी याचिका को भी पहले से लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ा जाए।
केंद्र के खिलाफ तर्क
मुख्य याचिकाओं में कहा गया है कि ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming Law Case) पर लागू यह नया अधिनियम कौशल-आधारित खेलों पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगाता है, जो संविधान के अनुच्छेद 19(1)(G) का उल्लंघन है। यह अनुच्छेद नागरिकों को किसी भी वैध पेशे या व्यापार को अपनाने का अधिकार देता है। सोमवार को ही अदालत ने ‘सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमिक चेंज’ (CASC) और शौर्य तिवारी द्वारा दायर याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था।
26 नवंबर को होगी दो मामलों पर संयुक्त सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 26 नवंबर को वह उन याचिकाओं की भी सुनवाई करेगा, जिनमें केंद्र सरकार से ऑनलाइन जुआ और सट्टेबाजी प्लेटफार्मों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। अदालत ने कहा कि यह देखा जाएगा कि क्या ऐसे प्लेटफार्म “सोशल गेम्स” और “ई-स्पोर्ट्स” की आड़ में संचालित हो रहे हैं।
