सीजी भास्कर, 05 नवंबर। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमावर्ती वनों में एक बार फिर हाथियों का आतंक (Chhattisgarh Elephant Attack) फैल गया है। रविवार और सोमवार की दरमियानी रात को करंजिया विकासखंड के अम्हादादर गांव में पांच हाथियों का झुंड घुस आया और जमकर उत्पात मचाया। हाथियों ने दो घरों को तोड़ दिया, धान की खड़ी फसल रौंद डाली और केले के पेड़ों को उखाड़ फेंका। अचानक पहुंचे इस झुंड से पूरा इलाका दहशत में आ गया।
ग्रामीणों ने बताया कि रात करीब तीन बजे गांव की गलियों में हाथियों के सूंड़ पटकने और छतों से टिन उड़ने की आवाजें सुनाई दीं। लोग घरों से बाहर नहीं निकले, बस छतों पर चढ़कर बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया।
गांव के राजकुमार मरकाम के घर के पीछे बने टिनशेड वाले कमरे को झुंड ने पूरी तरह तोड़ डाला। वहीं, महिला लमिया के घर के पास लगे आम और नींबू के पेड़ों को भी भारी नुकसान पहुंचा। ग्रामीणों ने किसी तरह रात गुजारी।
नायब तहसीलदार शैलेष गौर ने बताया कि सूचना मिलते ही वन विभाग (Chhattisgarh Elephant Attack) को अलर्ट कर दिया गया था। टीम मौके पर पहुंचकर प्रभावित परिवारों की मदद में जुटी। सोमवार सुबह झुंड को कांदावानी बीट क्षेत्र में देखा गया।
फेन अभयारण्य से आए हाथी, कन्हा किसली की दिशा में बढ़ा दल
पंडरिया वन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी सुयेश धर दीवान के अनुसार, हाथियों का यह झुंड फेन अभयारण्य से आया है और संभवतः अपने पुराने रास्ते से कन्हा किसली की ओर बढ़ रहा है। फिलहाल इस दल में चार बड़े हाथी और एक शावक शामिल है।
वन विभाग ने कहा कि यह मौसम हाथियों के आवागमन का समय है, क्योंकि खेतों में धान की फसल पककर तैयार होती है और भोजन की सुगंध उन्हें आकर्षित करती है। इस वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी गतिविधियां बढ़ जाती हैं।
इस बीच, ड्रोन की मदद से ट्रैकिंग शुरू की गई है। फॉरेस्ट टीम ने गांवों में गश्त बढ़ा दी है और ग्रामीणों से अपील की है कि वे हाथियों से दूरी बनाए रखें। खेतों में रात के समय निगरानी दल न भेजें और किसी भी स्थिति में झुंड के पास जाने का प्रयास न करें।
धान की कटाई के बीच बढ़ी किसानों की चिंता
फसल कटाई के इस मौसम में किसानों की चिंता दोगुनी हो गई है। कई गांवों में धान की फसल पककर तैयार है, और हाथियों की गतिविधियों से किसानों (Chhattisgarh Elephant Attack) को भारी नुकसान की आशंका है। वन विभाग ने कहा है कि नुकसान का सर्वे कराया जाएगा और पात्र किसानों को मुआवजा दिलाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
अम्हादादर, ठाढ़पथरा और बजाग मार्ग के ग्रामीण इस समय सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। झुंड की दिशा और मूवमेंट पर नजर बनाए रखने के लिए वन कर्मियों की अलग-अलग टीमें तैनात की गई हैं।
