सीजी भास्कर, 5 नवंबर। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर निवासी आलोक द्विवेदी का 14 माह का बेटा विनायक दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (Spinal Muscular Atrophy SMA) से जूझ रहा है। नई दिल्ली एम्स (AIIMS Delhi) के डॉक्टरों ने बताया है कि बच्चे के इलाज के लिए ₹9 करोड़ का ज़ोलगेन्स्मा इंजेक्शन (Zolgensma injection for SMA) लगाना जरूरी है। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार अब अपने मासूम बेटे की जिंदगी बचाने के लिए सोशल मीडिया के ज़रिए लोगों से मदद की गुहार लगा रहा है।
मिर्जापुर के करजी गांव, जमालपुर निवासी आलोक कुमार द्विवेदी और उनकी पत्नी प्रतिभा द्विवेदी अपने बच्चे के इलाज के लिए लगातार प्रयासरत हैं। विनायक इस समय वाराणसी में परिवार के साथ रह रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, यह बीमारी मांसपेशियों को कमजोर कर देती है और धीरे-धीरे बच्चे का शरीर चलने-फिरने की क्षमता खो देता है। एम्स के डॉक्टरों ने स्पष्ट किया है कि इलाज में इस्तेमाल होने वाला यह इंजेक्शन बच्चे को दो साल के भीतर लगना जरूरी है, अन्यथा स्थिति गंभीर हो सकती है।
आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण परिवार अब समाज से मदद मांग रहा है। पिता आलोक वाराणसी में एक निजी कंपनी में काम करते हैं और सीमित आय में परिवार का खर्च चलाते हैं। उन्होंने कहा कि “अपने बच्चे को बचाने के लिए हमें सबकी मदद की जरूरत है, क्योंकि 9 करोड़ रुपये जुटा पाना हमारे लिए असंभव है।”
क्या है स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी एक आनुवंशिक बीमारी है जो शरीर की मांसपेशियों को कमजोर कर देती है। इससे बच्चों को बैठने, चलने, यहां तक कि सांस लेने में भी कठिनाई होती है। दुनियाभर में इस बीमारी के लिए केवल कुछ ही इलाज उपलब्ध हैं। ज़ोलगेन्स्मा इंजेक्शन इस बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दुनिया की सबसे महंगी दवा है, जिसकी कीमत भारत में लगभग ₹9–16 करोड़ तक होती है। डॉक्टरों के मुताबिक, यह इंजेक्शन बच्चे को जीवनभर के लिए इस बीमारी से बचा सकता है।
विधायक ने सीएम योगी से की अपील
मड़िहान विधायक रमाशंकर सिंह पटेल बच्चे के इलाज के लिए आगे आए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर बच्चे की चिकित्सा हेतु आर्थिक सहायता की मांग की है। पत्र में बताया गया कि इंजेक्शन की अंतरराष्ट्रीय लागत लगभग 1.7 मिलियन USD (लगभग 16 करोड़ रुपये) है। विधायक ने मुख्यमंत्री से कहा है कि सरकार इस मामले में मानवीय दृष्टिकोण अपनाए और मासूम के जीवन को बचाने के लिए सहयोग दे। फिलहाल, परिवार उम्मीद लगाए बैठा है कि समाज और शासन दोनों से मदद मिलेगी और विनायक फिर से मुस्कुरा सकेगा।
