सीजी भास्कर, 7 नवंबर। यात्रियों की सुरक्षा के लिए रेलवे नई तकनीक (Railway AI Safety System) अपना रहा है। इससे ट्रेनों के नीचे के हिस्से यानी अंडरगियर में होने वालीं खराबियां हाई स्पीड कैमरों और खास रोलिंग लाइटों से तुरंत पकड़ी जाएंगी। उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज मंडल ने इसके लिए टेंडर जारी कर दिया है। पहले चरण में 98,51,698 रुपये खर्च होंगे और छह साल में काम पूरा होगा। प्रयागराज डिवीजन में पहली बार होगा, जहां कांपैक्ट डिजाइन वाला रोलिंग इन-आउट परीक्षा हट बनेगा।
ट्रेन का अंडरगियर देखना हमेशा से चुनौती भरा रहा है। जब ट्रेन 30-40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से स्टेशन पर आती-जाती है, तो नीचे का हिस्सा धुंधला नजर आता है। टूटे स्प्रिंग, ढीले बोल्ट, गर्म हो रहे एक्सल या लटकते पार्ट्स जैसी छोटी खराबियां नजरअंदाज हो जाती हैं। अब हाई स्पीड कैमरे (Railway AI Safety System) इनको पकड़ेंगे। ये खास आइपी (इंटरनेट प्रोटोकाल) आधारित सीसीटीवी कैमरे हैं, जो ट्रैक के किनारे कम ऊंचाई पर लगाए जाते हैं। इनमें 12 गुना जूम, वेरिफोकल लेंस और नाइट विजन जैसी सुविधाएं हैं। ये हर सेकेंड 60 फ्रेम या इससे ज्यादा हाई डेफिनिशन तस्वीरें ले सकते हैं। यानी, ट्रेन गुजरते ही ये तेजी से क्लिक करके हर बारीकी कैद कर लेंगे।
पहले मैनुअल जांच में समय अधिक लगता था, गलती की आशंका भी रहती थी, लेकिन अब यह काम मिनटों में हो जाएगा। ट्रेन जब रोलिंग इन (स्टेशन पर पहुंचने) या रोलिंग आउट (Railway AI Safety System) (स्टेशन से निकलने) के दौरान धीमी गति से गुजरती है, तो कैमरे ट्रैक के दोनों तरफ से अंडरगियर को स्कैन करते हैं। वाई-फाई से जुड़े होने के कारण तस्वीरें सीधे 42 इंच के एलईडी मानिटर पर भेजी जाती हैं। कर्मचारी वहां बैठकर रीयल-टाइम में देख सकते हैं।
ऊपर से, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Railway AI Safety System) इन तस्वीरों का विश्लेषण करेगा। एआई संभावित खराबियों की पहचान करेगा, जिससे मेंटेनेंस टीम को त्वरित सूचना मिलेगी। एनसीआर के सीपीआरओ शशिकांत त्रिपाठी ने बताया कि कांपैक्ट डिजाइन वाला रोलिंग इन-आउट परीक्षा हट के हाई स्पीड कैमरों और रोलिंग लाइटों के लिए निविदा जारी कर दी गई है। इसी महीने कार्य शुरू हो जाएगा।
ऐसे मदद करेंगी रोलिंग लाइटें
रोलिंग लाइटें तेज रोशनी वाली खास लाइटें हैं, जो ट्रैक के किनारे लगी होती हैं। ये सामान्य लाइटों से अलग हैं क्योंकि ये ट्रेन की गति (रोलिंग मोशन) के साथ सिंक होकर चमकती हैं। रात में या खराब मौसम जैसे कोहरे-बारिश में ये बेहद कारगर साबित होंगी। सामान्य रोशनी में अंधेरा छिप जाता है, लेकिन रोलिंग लाइटें इंफ्रारेड तकनीक से हर कोने को रोशन कर देंगी। कैमरों को साफ तस्वीर चाहिए होती है, इसलिए रोलिंग लाइटें धुंधलापन हटाकर हाई डेफिनिशन इमेज बनाएंगी, ताकि एआई या कर्मचारी छोटी खराबी भी न छोड़ें। इससे नाइट विजन कैमरों की क्षमता दोगुनी हो जाएगी।
रेलवे सुरक्षा में तकनीक का नया अध्याय
रेलवे के इस नवाचार से ट्रेनों की जांच प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल और तेज होगी। इससे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ ट्रेनों की मरम्मत लागत भी कम होगी। एआई और हाई स्पीड विजुअल सिस्टम का संयोजन भारतीय रेलवे को दुनिया के तकनीकी रूप से अग्रणी नेटवर्क में शामिल करेगा।
