सीजी भास्कर, 8 नवंबर। छत्तीसगढ़ सरकार ने पारंपरिक वनौषधीय चिकित्सा से जुड़े जनजातीय समाजों को सम्मान देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर Baiga Gunia Hadjod Yojana को लागू कर दिया गया है। इस योजना के तहत बैगा, गुनिया और हड़जोड़ समुदायों के चिन्हित पारंपरिक चिकित्सकों को प्रति वर्ष 5,000 रुपए की सम्मान सह-प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी।
6 नवम्बर को आदिम जाति विकास विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, यह योजना ‘मुख्यमंत्री बैगा गुनिया हड़जोड़ सम्मान योजना (अनुसूचित जनजाति) वर्ष 2025’ नाम से लागू होगी। इसका उद्देश्य इन परंपरागत चिकित्सकों के अमूल्य ज्ञान को संरक्षित कर नई पीढ़ियों तक पहुँचाना है।
बैगा, गुनिया और हड़जोड़ जनजातियाँ सदियों से छत्तीसगढ़ के जंगलों और पहाड़ियों में बसे लोगों को औषधीय जड़ी-बूटियों से उपचार प्रदान करती आई हैं। सरकार अब उनके इस परंपरागत ज्ञान को न केवल मान्यता दे रही है बल्कि आर्थिक रूप से भी उन्हें सशक्त बना रही है। मुख्यमंत्री ने 15 नवम्बर 2024 को जनजातीय गौरव दिवस पर इस योजना की घोषणा की थी, जिसे अब जमीन पर उतारा जा रहा है।
अधिसूचना में कहा गया है कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य Baiga Gunia Hadjod Yojana के तहत जनजातीय संस्कृति, लोकज्ञान और औषधीय परंपरा का संरक्षण है। ऐसे व्यक्ति जो पिछले तीन वर्षों से वनौषधीय चिकित्सा सेवा में सक्रिय हैं, उन्हें पात्र माना जाएगा। योजना में उन व्यक्तियों को भी शामिल किया गया है जो कम से कम 30 वर्षों से पारंपरिक चिकित्सा सेवा दे रहे हैं और जिनके परिवार में यह ज्ञान पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्थानांतरित हुआ है।
चयन प्रक्रिया ग्राम सभा और पंचायत स्तर से शुरू होगी। ग्राम सचिव, सरपंच, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन और स्कूल प्रधानपाठक की अनुशंसा पर जिला समिति अंतिम चयन करेगी। समिति में जनपद अध्यक्ष, अनुसूचित जनजाति सदस्य, जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और मंडल संयोजक शामिल होंगे। सत्यापित सूची सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास के माध्यम से कलेक्टर को भेजी जाएगी और अनुमोदन के बाद सम्मान राशि का वितरण किया जाएगा।
Baiga Gunia Hadjod Yojana के तहत धनराशि का आबंटन प्रत्येक जिले को राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा। पात्र व्यक्तियों की सूची ग्राम सभा में सार्वजनिक रूप से पढ़ी जाएगी ताकि पारदर्शिता बनी रहे। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा बैगा, गुनिया और हड़जोड़ हमारी जनजातीय परंपरा के जीवंत प्रतीक हैं। यह योजना न केवल उनके अनुभव और ज्ञान को सम्मान देने का माध्यम है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक वैभव की रक्षा का भी प्रतीक है।
जनजातीय ज्ञान को मिलेगा संस्थागत संरक्षण
राज्य सरकार की यह योजना पारंपरिक जनजातीय चिकित्सा विधा को एक नई पहचान देगी। इससे न केवल स्थानीय चिकित्सकों का मनोबल बढ़ेगा बल्कि जनजातीय युवाओं में भी अपनी परंपरा के प्रति गर्व की भावना मजबूत होगी। चयन प्रक्रिया ग्राम से लेकर जिला स्तर तक पूरी पारदर्शिता के साथ होगी। पात्र व्यक्तियों का सत्यापन विभागीय समिति द्वारा किया जाएगा और सम्मान राशि सीधे उनके खातों में हस्तांतरित की जाएगी।
