सीजी भास्कर 14 नवम्बर Congress Left Shift : कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने गुरुवार रात एक कार्यक्रम में ऐसा बयान दिया, जिसने सियासी हलकों में नई हलचल पैदा कर दी है। थरूर के अनुसार, पार्टी बीते कुछ वर्षों में वैचारिक रूप से अधिक बाईं तरफ झुक गई है, और यह बदलाव अचानक नहीं, बल्कि लगातार हुए रणनीतिक समायोजनों का परिणाम है। उनका कहना है कि यह परिवर्तन सिर्फ strategic politics का हिस्सा नहीं, बल्कि वैचारिक बहसों से निकला रूपांतरण भी है।
Congress Left Shift: बीजेपी की राजनीति का जवाब—कांग्रेस क्यों बदली?
थरूर ने साफ किया कि बीजेपी की कथित विभाजनकारी राजनीति के मुकाबले के लिए कांग्रेस ने खुद को अधिक प्रगतिशील और सामाजिक न्याय की राजनीति के करीब ढाल लिया है। उन्होंने कहा कि “कुछ वैचारिक दूरियां कम करनी जरूरी हो जाती हैं, अगर आप समाज को जोड़ने की राजनीति करना चाहते हैं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनके विचार तत्काल राजनीतिक समीकरणों पर नहीं, बल्कि ideological direction पर केंद्रित थे—जहाँ कांग्रेस ने खुद को एक नए संतुलन पर खड़ा किया है।
मनमोहन सिंह की moderate line से अलग हुई पार्टी?
थरूर ने अपने भाषण में यह स्मरण कराया कि डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस एक अधिक मध्यमार्गी (moderate) पार्टी के रूप में सामने आई थी।
उन्होंने यह भी कहा कि उस दौर में कई आर्थिक नीतियाँ थीं जो बाद में सत्ता में आई सरकारों ने भी अपनाईं, जिससे एक centrist policy zone कायम हुआ था।
थरूर के मुताबिक—1991 से 2009 तक कांग्रेस एक “मध्यमार्गी काल” में थी, लेकिन उसके बाद पार्टी की वैचारिक दिशा में स्पष्ट बदलाव दिखने लगा।
Congress Left Shift: विपक्ष में रहते हुए बदला कांग्रेस का रंग
उन्होंने कहा, “बीते कुछ वर्षों में कांग्रेस पहले की तुलना में कहीं ज़्यादा वामपंथी पार्टी बन गई है… यह रणनीतिक बदलाव है या दार्शनिक विश्वास—यह अभी भी देखने वाली बात है।”
इस टिप्पणी को राजनीतिक पर्यवेक्षक विपक्ष की रणनीति में आए तेज बदलाव के रूप में देख रहे हैं।
थरूर ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य सीट-स्तरीय राजनीति पर टिप्पणी करना नहीं था। उनका फोकस था व्यापक राष्ट्रीय वैचारिक बहस पर—एक ऐसी बहस, जिससे कांग्रेस की नई दिशा को समझा जा सकता है।
AICC अध्यक्ष पद पर जवाब, युवा और देश की भूमिका पर बात
जब थरूर से उनकी संभावित AICC अध्यक्ष पद की दावेदारी पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने सहजता से कहा कि “अभी ऐसी कोई स्थिति नहीं दिखती।”
साथ ही उन्होंने यह भी माना कि कांग्रेस में चुनावी प्रक्रिया का होना पार्टी के लोकतांत्रिक चरित्र को मजबूत करता है।
विदेशों में काम कर रहे भारतीय कुशल श्रमिकों पर अमेरिका की टिप्पणी पर उन्होंने कहा कि भारत को इससे आपत्ति नहीं। “हमारे युवा बाहर अनुभव लें, और वापस लौटकर देश की प्रगति में योगदान दें—यह हमारे लिए सकारात्मक है।”
