सीजी भास्कर 21 नवम्बर आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में सामने आया (Period Isolation Case) ऐसा मामला जिसने स्थानीय प्रशासन को भी विचलित कर दिया। 15 साल की एक लड़की को उसकी मां ने उसके पहले पीरियड्स आने के बाद लगभग दो वर्षों तक घर के एक अंधेरे कमरे में बंद कर रखा। न स्कूल जाने की अनुमति, न धूप देखने का मौका—बच्ची पूरी तरह दुनिया से कट चुकी थी।
Period Isolation Case: पति की मौत के बाद मां की मानसिक हालत बिगड़ी, बेटी पर टूटा दबाव
भाग्यलक्ष्मी नाम की महिला अपने मायके इच्छापुरम में रहती थी। कुछ साल पहले पति की मौत के बाद वह मानसिक तनाव में रहने लगी थी। बेटी को निजी स्कूल में पढ़ाया जा रहा था, लेकिन 2022 में जैसे ही बच्ची को पीरियड्स आया, मां का व्यवहार अचानक असामान्य हो गया।
वह इस भ्रम में रहने लगी कि बेटी घर से बाहर जाएगी तो कोई “अनहोनी” हो सकती है—यही अंधविश्वास धीरे-धीरे खतरनाक रूप लेता गया।
कमरे में अंधेरा, घर से बाहर ताला—दो साल तक किसी से बात तक नहीं
स्थानीय लोगों के अनुसार, भाग्यलक्ष्मी ने पहले बेटी को बाहर जाने से रोका, फिर घर की बिजली ही काट दी।
वह खुद भी बेटी के साथ उसी अंधेरे में रहने लगी।
जब भी उसे बाहर किसी काम से जाना पड़ता, वह बेटी को कमरे में बंद कर बाहर से ताला लगा देती।
लगातार दो साल तक लड़की ने न धूप देखी, न ताज़ी हवा महसूस की, और न ही किसी से बात की।
Period Isolation Case: पड़ोसियों को शक था, लेकिन मां के आक्रामक रवैये ने सबको रोका
पड़ोसियों ने कई बार सवाल किए, लेकिन मां हर किसी से झगड़ पड़ती थी।
गुस्से में अपशब्द कहने की वजह से लोग इस मामले में दखल नहीं दे पाए।
जब महीनों बीत गए और लड़की स्कूल नहीं गई, तब स्थानीय आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को संदेह हुआ।
उसने मामला संबंधित अधिकारियों तक पहुँचाया, जिसके बाद कहानी पूरी तरह खुलकर सामने आई।
कोर्ट के निर्देश पर प्रशासन ने तोड़ा दरवाज़ा, बच्ची को बाहर निकाला
मजिस्ट्रेट के आदेश पर तहसीलदार, ICDS अधिकारी, पुलिस और कई कर्मचारियों की टीम मंगलवार को घर पहुँची।
मां ने विरोध किया, लेकिन टीम ने दरवाज़ा तोड़कर लड़की को बाहर निकाला।
बाहर लाते ही अधिकारी स्तब्ध रह गए—लड़की ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।
लगातार अंधेरे और पोषक भोजन की कमी ने उसकी हालत कमजोर कर दी थी।
मां को इलाज के लिए भेजा गया, बच्ची को सुरक्षित स्थान पर रखा गया
जांच के दौरान यह साफ हो गया कि मां की मानसिक स्थिति सामान्य नहीं है।
अधिकारियों ने लड़की को कोर्ट के सामने पेश किया, जिसके बाद मां को इलाज हेतु विशाखापट्टनम भेजा गया।
वहीं बच्ची को सुरक्षित वातावरण के लिए श्रीकाकुलम बालिका संरक्षण केंद्र में भेज दिया गया है, जहाँ उसकी देखभाल शुरू कर दी गई है।
