सीजी भास्कर, 24 नवंबर। भिलाई स्टील सिटी चैंबर ऑफ़ कॉमर्स ने छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग को एक विस्तृत पत्र भेजकर भिलाई इस्पात संयंत्र के टाउन इंजीनियरिंग इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट द्वारा बिजली सेवा हस्तांतरण (Electricity Transfer Issue) प्रक्रिया शुरू किए जाने पर गंभीर आपत्ति दर्ज कराई है। चैंबर का कहना है कि इस कदम से टाउनशिप के लगभग 40,000 उपभोक्ता सीधे प्रभावित होंगे, इसलिए इस निर्णय के वास्तविक कारणों को सार्वजनिक किया जाना आवश्यक है।

चैंबर अध्यक्ष ज्ञानचंद जैन ने आयोग को लिखे पत्र में कहा कि एक स्थापित लाइसेंसिंग अथॉरिटी होने के बावजूद भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा किया जा रहा यह कदम उपभोक्ताओं की समझ से परे है। उन्होंने आग्रह किया कि इस मामले की सुनवाई भिलाई में ही आयोजित की जाए (Electricity Transfer Issue) ताकि अधिकतम प्रभावित उपभोक्ता अपनी बात आयोग के सामने रख सकें।
Electricity Transfer Issue रायपुर नहीं, भिलाई में सुनवाई की मांग
जैन ने बताया कि वर्ष 2016 के पहले आयोग की सभी सुनवाई भिलाई में ही होती थी (Electricity Transfer Issue) जहां हजारों उपभोक्ता उपस्थित होकर अपनी आपत्तियां रखते थे। उन्होंने कहा कि यदि बिजली सेवा सीएसपीडीसीएल को हस्तांतरित होती है तो शहर के लोगों को दो विभागों के चक्कर लगाने पड़ेंगे, जिससे समस्याएं और बढ़ेंगी। चैंबर का कहना है कि उपभोक्ता स्थानांतरण का विरोध नहीं कर रहे, लेकिन वे जानना चाहते हैं कि बीएसपी का टाउन इंजीनियरिंग इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट ऐसा फैसला क्यों ले रहा है।
सूत्रों के अनुसार, भिलाई इस्पात संयंत्र ने विद्युत हस्तांतरण का प्रस्ताव आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर दिया है, जिसकी सुनवाई दिसंबर के दूसरे सप्ताह में निर्धारित हो सकती है। इस सुनवाई में बड़ी संख्या में प्रभावित उपभोक्ता अपनी आपत्तियां दर्ज कराएंगे। चैंबर ने पुनः आग्रह किया है कि आयोग सुनवाई स्थल भिलाई ही तय करे (Electricity Transfer Issue) क्योंकि रायपुर जाने में आम उपभोक्ताओं को भारी परेशानी होगी और आयोग का उद्देश्य भी अधिकतम जन-सुनवाई सुनिश्चित करना है।
चैंबर और सामाजिक संस्थाओं की संयुक्त अपील
भिलाई स्टील सिटी चैंबर ऑफ कॉमर्स सहित कई सामाजिक एवं शैक्षणिक संस्थाओं ने आयोग से अनुरोध किया है कि सुनवाई का केंद्र भिलाई रखा जाए, ताकि हर प्रभावित नागरिक अपनी बात रख सके। चैंबर ने कहा कि सुनवाई रायपुर में होने से बड़ी आबादी अपनी बात नहीं रख पाएगी, जो उपभोक्ता हित के खिलाफ होगा। चैंबर ने पत्र के अंत में उम्मीद जताई कि आयोग जनहित को प्राथमिकता देते हुए सुनवाई स्थल के निर्णय पर पुनर्विचार करेगा और इस संबंध में किए गए सभी निर्णयों की सूचना सार्वजनिक रूप से साझा करेगा।
