सीजी भास्कर, 27 नवंबर। बस्तर समेत पूरे दंडकारण्य में सुरक्षा बलों के लगातार दबाव, बड़े कैडरों के सरेंडर और एनकाउंटर में मारे जाने के बाद नक्सली संगठन (Naxal Talamel Committee) अब टूट की कगार पर पहुंच चुका है। इसी हालात में नक्सलियों ने पहली बार एक नई विंग तैयार की है और इसे तालमेल कमेटी नाम दिया गया है। संगठन ने पहली तालमेल कमेटी का गठन कर दिया है, जिसका नाम उत्तर तालमेल कमेटी रखा गया है। यह नक्सल संगठन की अब तक की सबसे बड़ी संरचनात्मक मजबूरी मानी जा रही है।
अब तक नक्सली अपनी गतिविधियों को एरिया कमेटी, जोन कमेटी, डिवीजन कमेटी और मिलिट्री कमेटी के जरिए संचालित करते रहे हैं, लेकिन पहली बार संगठन को बचाने के लिए पूरी तरह नई संरचना का सहारा लिया गया है। लगातार एनकाउंटर, बड़े कमांडरों के मारे जाने और सरेंडर की बढ़ती संख्या की वजह से नक्सलियों के बीच आपसी संपर्क लगभग टूट चुका है।
इसी बिखरते फ्रेमवर्क और टूटे हुए संवाद को जोड़ने के लिए तालमेल कमेटी को एक तरह के लाइफ़ सपोर्ट स्ट्रक्चर की तरह बनाया गया है। सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा एजेंसियों का दबाव इतना बढ़ चुका है कि नक्सलियों को संकट मोड में यह नई व्यवस्था लागू करनी पड़ी है, ताकि कम से कम बचे हुए कैडरों के बीच किसी तरह संवाद बहाल रह सके।
(Naxal Talamel Committee) मिशन 2026 की वजह से बढ़ा दबाव
बस्तर में चल रहे मिशन 2026 ने नक्सली संगठन की रीढ़ पर सीधा प्रहार किया है। मिशन का लक्ष्य मार्च 2026 तक बस्तर को नक्सल–मुक्त करना है। फोर्स इस मिशन में अपनी पूरी ताकत झोंक चुकी है। बड़े नक्सली एनकाउंटर में खत्म हो रहे हैं और जो बच रहे हैं, वे आत्मसमर्पण कर रहे हैं।
इसी बढ़ते दबाव के बीच नक्सलियों ने महसूस किया कि अगर जल्द कोई नई संरचना और संपर्क व्यवस्था नहीं बनाई गई, तो आने वाले वक्त में संगठन जमीन पर खत्म हो सकता है। यही वजह है कि तालमेल कमेटी नक्सलियों के लिए अस्तित्व बचाने वाला कदम साबित हो रही है।
सुरक्षा एजेंसियों की नजर तालमेल कमेटी पर
सूत्रों के अनुसार सुरक्षा बलों का फोकस अब इस नई कमेटी पर रहेगा, क्योंकि यही कमेटी नक्सलियों के बचे हुए नेटवर्क को जोड़ने का केंद्र बनेगी। एजेंसियों का मानना है कि जहां भी यह कमेटी सक्रिय होगी, वहीं संगठन के सबसे कमजोर हिस्सों का पता भी लगेगा। यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ा अवसर है।
(Naxal Talamel Committee) क्यों बनाई गई तालमेल कमेटी
लगातार बड़े कैडरों के सरेंडर से संगठन बेहद कमजोर
एरिया, जोन और मिलिट्री कमेटियों की गतिविधियां लगभग ठप
बड़ी कमांड चेन टूट गई, आदेश श्रृंखला समाप्त
कई इलाकों में पीएलजीए बटालियन बिखर गई
पुलिस दबाव में कैडर जंगल छोड़कर गांवों में छिपने को मजबूर
इंटरनल कम्युनिकेशन लगभग शून्य हो चुका
(Naxal Talamel Committee) क्या करेगी तालमेल कमेटी
बचे हुए कैडरों से संपर्क स्थापित करेगी
टूटे हुए जोन–एरिया कमेटियों को जोड़ने की कोशिश
जंगल के छोटे कैंपों को फिर से सक्रिय करने की योजना
नए भर्ती नेटवर्क और प्रचार सामग्री फैलाने की जिम्मेदारी
मिशन 2026 के तहत सुरक्षा बलों के दबाव को कमजोर करने की रणनीति
शहरों के अंडरग्राउंड नेटवर्क को फिर सक्रिय करने की कोशिश
