सीजी भास्कर, 27 नवंबर। छत्तीसगढ़ में वन भैंसा संरक्षण एवं स्थानांतरण (Wild Buffalo Conservation) को लेकर नवा रायपुर स्थित आरण्य भवन में उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एवं मुख्य वन्यजीव वार्डन अरुण कुमार पाण्डेय ने की। इसमें प्रदेश में वन भैंसा (वाइल्ड बफैलो) के संरक्षण, (Chhattisgarh Wildlife) संख्या वृद्धि, स्थानांतरण तथा वैज्ञानिक वन्यजीव प्रबंधन पर विस्तार से विमर्श किया गया।
(Wild Buffalo Conservation) वन भैंसा संरक्षण पर विस्तृत चर्चा
बैठक में राज्य के राजकीय पशु वन भैंसा की संख्या वृद्धि एवं संरक्षण पर प्रमुखता से चर्चा हुई। पाण्डेय ने कहा कि इस दिशा में सभी विभागीय अधिकारियों और विशेषज्ञों के समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने एक प्रभावी कार्ययोजना बनाकर उसे जमीन पर उतारने पर बल दिया। डॉ. आर.पी. मिश्रा ने प्रेज़ेंटेशन के माध्यम से अब तक किए गए संरक्षण कार्यों, वन भैंसा की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि वन भैंसा प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा वन्यजीव है और इसके संरक्षण के लिए निरंतर वैज्ञानिक प्रयास अनिवार्य हैं।
उदंती–सीतानदी व बारनवापारा में संरक्षण कार्य तेज
बैठक में बताया गया कि उदंती–सीतानदी टाइगर रिजर्व और बारनवापारा अभयारण्य में वन भैंसा प्रजनन (मेटिंग) के लिए उपयुक्त वातावरण उपलब्ध है। वर्तमान में बारनवापारा में 1 नर और 5 मादा वन भैंसे मौजूद हैं। वन भैंसों की वास्तविक संख्या और शुद्ध नस्ल की पहचान के लिए (Geo Mapping Technology) जियो-मैपिंग तकनीक का उपयोग करने की योजना प्रस्तुत की गई। साथ ही वन भैंसों के रहवास, भोजन और स्वास्थ्य प्रबंधन को और मजबूत करने पर भी जोर दिया गया।
स्थानांतरण और अनुमतियों की प्रक्रिया तेज
बैठक में निर्णय लिया गया कि वन भैंसों के स्थानांतरण के लिए नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ और NTCA से आवश्यक अनुमतियाँ जल्द प्राप्त की जाएंगी। इसके लिए जल्द ही एक विशेष दल दिल्ली भेजा जाएगा। वन भैंसों की चिकित्सा देखभाल के लिए दो पशु चिकित्सकों को पूर्णकालिक रूप से नियुक्त करने का निर्णय भी लिया गया, ताकि (Wild Buffalo Protection) संरक्षण और ट्रांसलोकेशन के दौरान किसी प्रकार का जोखिम न रहे। साथ ही सेंट्रल जू अथॉरिटी से अनुमति लेकर जंगल सफारी सहित अन्य क्षेत्रों में सैटेलाइट-आधारित निगरानी प्रणाली विकसित करने की तैयारी की जा रही है।
काला हिरण संरक्षण पर भी चर्चा
बैठक में काला हिरण (Blackbuck) संरक्षण पर भी चर्चा की गई। वर्ष 2018 में बारनवापारा अभयारण्य में पुनर्स्थापन कार्यक्रम शुरू किया गया था। संरक्षण कार्यों के तहत बाड़ों में रेत और जल निकासी प्रणाली में सुधार, पोषण की निगरानी और समर्पित टीम की तैनाती जैसे कदम उठाए गए। इन प्रयासों से वर्तमान में बारनवापारा में लगभग 190 काले हिरण सुरक्षित रूप से मौजूद हैं। इस सफलता को देखते हुए अन्य अभयारण्यों में भी काला हिरण पुनर्स्थापन की योजना बनाई जा रही है।
बैठक में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक व्ही. माधेश्वरन, मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्रीय निदेशक उदंती–सीतानदी सुश्री सतीविशा समाजदार, DFO बलौदाबाजार धम्मशील गनवीर, उप संचालक इंद्रावती टाइगर रिजर्व संदीप बलगा सहित WTI, WII, कामधेनु विश्वविद्यालय व जंगल सफारी के कई विशेषज्ञ व अधिकारी उपस्थित रहे।
