सीजी भास्कर, 18 दिसंबर। छत्तीसगढ़ में दो बाघ और एक तेंदुए के शिकार से जुड़ी हालिया घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट (Wildlife Poaching Case) ने वन्यजीव शिकार मामलों पर स्वतः संज्ञान लिया है। मीडिया में प्रकाशित रिपोर्टों के आधार पर खंडपीठ ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक से व्यक्तिगत शपथ पत्र में विस्तृत जवाब तलब किया है। इससे प्रदेश में वन्यजीव संरक्षण व्यवस्था और प्रशासनिक जवाबदेही पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं।
जानकारी के अनुसार, सूरजपुर वनमंडल की घूई वन रेंज स्थित रेवती वन क्षेत्र में 15 दिसंबर को एक बाघ का शव बरामद किया गया था। बाघ के शरीर पर गहरे चोट के निशान थे, जबकि उसके दांत और नाखून गायब पाए गए। मौके से एक धारदार हथियार भी मिला, जिससे शिकार किए जाने की आशंका और गहरी हो गई है। मामले की जांच के लिए गुरु घासीदास अभयारण्य और कानन पेंडारी से स्निफर डॉग्स और वन्यजीव विशेषज्ञों की टीम बुलाई गई।
इसी तरह खैरागढ़ और डोंगरगढ़ के बीच स्थित बनबोद के जंगल गांव में एक वयस्क तेंदुए को बेरहमी से मार दिया गया। शिकारी उसके पंजे, नाखून और जबड़े के दांत निकालकर फरार हो गए। इससे पहले जनवरी 2024 में रायगढ़ जिले के गोमर्डा अभयारण्य में भी एक बाघ की मौत का मामला सामने आया था।
प्रदेश में वन्यजीवों के शिकार से जुड़ी जनहित याचिका (Wildlife Poaching Case) पर पिछली सुनवाई 10 दिसंबर को हुई थी। उस दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया था कि शिकार का कोई नया मामला सामने नहीं आया है, जिसके बाद मामले की अगली सुनवाई मार्च 2026 में तय की गई थी। हालांकि, मीडिया में सामने आई इन गंभीर घटनाओं के बाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को अचानक मामले की सुनवाई करते हुए पीसीसीएफ से जवाब मांगा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी।
आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में विभिन्न कारणों से छह बाघों की मौत हो चुकी है, जबकि वर्ष 2010 से अब तक राज्य में कुल 39 बाघों की मौत दर्ज की गई है, जो वन्यजीव संरक्षण के लिए चिंता का विषय है।


