सीजी भास्कर, 19 दिसंबर। छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचल बस्तर ने एक बार फिर अपनी मेहनतकश और जुझारू पहचान को राष्ट्रीय स्तर पर साबित किया है। बस्तर जिले के बकावंड जनपद की दो महिला किसानों—छिंदगांव की सुमनी कश्यप और करीतगांव की नेत्री बाई कश्यप—ने खेती के क्षेत्र में असाधारण प्रदर्शन कर देशभर में अपनी अलग पहचान बनाई है।
नई दिल्ली के पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में आयोजित राष्ट्रीय समारोह में दोनों को प्रतिष्ठित मिलेनियर फार्मर ऑफ इंडिया-2025 (Women Farmers) सम्मान से नवाजा गया। यह उपलब्धि न केवल बस्तर के लिए, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का क्षण है।
कृषि जागरण द्वारा आयोजित समारोह में पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. मांगी लाल जाट सहित देश के शीर्ष कृषि वैज्ञानिकों की उपस्थिति में पुरस्कार प्रदान किए गए।
कार्यक्रम में सैकड़ों किसानों और कृषि विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया, जहां पारंपरिक कृषि के साथ आधुनिक तकनीकों के एकीकरण, जैविक खेती, कृषि उद्यमिता और बाजार प्रबंधन पर विस्तृत चर्चा हुई। इसी मंच पर बस्तर की इन महिला किसानों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे ग्रामीण परिवेश, सीमित संसाधनों और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी खेती को लाभकारी बनाया जा सकता है।
सुमनी कश्यप और नेत्री बाई कश्यप बिहान योजना के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं। इस समूह से उन्हें वित्तीय सहयोग, प्रशिक्षण और मार्केट कनेक्टिविटी जैसी सुविधाएँ मिलीं, जिसने उनकी खेती की दिशा बदल दी। दोनों ने खेती में आधुनिक तकनीकें अपनाईं—जैविक खाद, ड्रिप सिंचाई, बहुफसलीय खेती, सघन सब्जी उत्पादन और मूल्य संवर्धन जैसे प्रयोगों से बेहतर उपज हासिल की। नतीजे में उनकी आय कई गुना बढ़ी और वे आर्थिक रूप से मजबूत हुईं।
दोनों महिलाओं की सफलता इसलिए और भी उल्लेखनीय है क्योंकि बस्तर का यह क्षेत्र वर्षों से आर्थिक चुनौती, रोजगार की कमी और पलायन जैसी समस्याओं से जूझता रहा है। ऐसे समय में ग्रामीण युवाओं और महिलाओं के बीच खेती के प्रति बढ़ते विश्वास और आधुनिक कृषि की ओर आकर्षण को उनकी उपलब्धि ने मजबूत किया है। इस सम्मान ने साबित कर दिया कि यदि तकनीक, मार्गदर्शन और संकल्पशीलता साथ हों, तो ग्रामीण किसान भी राष्ट्रीय उपलब्धियाँ हासिल कर सकते हैं।
नई दिल्ली में आयोजित इस समारोह में दोनों ने आधुनिक कृषि तकनीक, स्टार्टअप मॉडल, ऊर्जा संरक्षण, जल प्रबंधन और कृषि विपणन से जुड़े विभिन्न सत्रों में भी भाग लिया। इससे उन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में लागू सफल कृषि मॉडल्स को समझने का अवसर मिला। वे अब बस्तर लौटकर अन्य किसानों—विशेषकर महिलाओं—को जागरूक करने की दिशा में काम करने की तैयारी कर रही हैं।
यह पहचान महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण विकास और कृषि नवाचार का प्रतीक है। बस्तर की इन महिला किसानों (Women Farmers) ने यह साबित किया है कि जब अवसर और संकल्प साथ हों, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। उनकी यह सफलता आने वाले समय में बस्तर के युवा किसानों के लिए मार्गदर्शन और प्रेरणा का स्रोत बनेगी।


