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Home » “मेरा राजनैतिक करियर खत्म करने की गहरी साज़िश” महादेव सट्टा, कोयला परिवहन अवैध वसूली में संलिप्तता के लिए IPS और एजेंसियां कर रहीं गंभीर षड्यंत्र – भूपेश बघेल के पत्र में बलि का बकरा, शुभम का भूत और महादेव सट्टा ऐप सहित बहुत कुछ बेपर्दा

“मेरा राजनैतिक करियर खत्म करने की गहरी साज़िश” महादेव सट्टा, कोयला परिवहन अवैध वसूली में संलिप्तता के लिए IPS और एजेंसियां कर रहीं गंभीर षड्यंत्र – भूपेश बघेल के पत्र में बलि का बकरा, शुभम का भूत और महादेव सट्टा ऐप सहित बहुत कुछ बेपर्दा

By Newsdesk Admin 24/09/2024
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सीजी भास्कर, 24 सितंबर। छत्तीसगढ़ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर कहा है कि छत्तीसगढ़ में संविधान हत्यात्मक परिस्थितियां लगातार बन रही हैं और हाल ही में प्रदेश में घटित एक घटना इस पत्र का तात्कालिक कारण बनी है। श्री बघेल ने लिखा है कि आज भारत के परिदृश्य में सर्वोच्च न्यायालय ही एक ऐसी संस्था बची है जिस पर आमजन का विश्वास है।

⭕ IPS मिश्रा कर रहे गंभीर षड्यंत्र – भूपेश ने लिखा….
उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य में कोयला परिवहन में कथित अवैध वसूली के एक प्रकरण की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा विगत 4 वर्षों से की जा रही है। राज्य में पिछले नवंबर में हुए चुनाव के बाद सत्ता परिवर्तन हुआ, इसके बाद राज्य की एसीबी ईओडब्ल्यू ‌द्वारा भी एक प्रकरण दर्ज किया गया। ईडी की ओर से गिरफ़्तार किए गए विचाराधीन बंदियों को हिरासत में लेकर एसीबी/ईओडब्ल्यू ने नए प्रकरण में जेल में निरुद्ध कर रखा है।
इन अभियुक्तों में से एक सूर्यकांत तिवारी नाम के व्यापारी भी हैं जिन्होंने 9 सितंबर को चतुर्थ जिला एवं सत्र न्यायाधीश विशेष न्यायाधीश (पीएमएलए) के समक्ष एक आवेदन पेश किया जिके अनुसार 8 सितंबर को दोपहर 12 बजे एसीबी/ईओडब्ल्यू के निदेशक आईपीएस अमरेश कुमार मिश्रा जेल पहुंचे और उन्होंने सूर्यकांत को कहा कि वे कोयला परिवहन के कथित अपराध में भूपेश बघेल की संलिप्तता स्वीकार करें। श्री तिवारी ने अपने आवेदन में लिखा है, इस दौरान आईपीएस अधिकारी श्री मिश्रा ने उनके साथ अभद्रता भी की और मेरा नाम न लिए जाने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी। इस घटना के प्रमाण न होने की बात कहते हुए श्री बघेल ने लिखा कि जब धमकी दी उस समय जेल का कोई अधिकारी भी वहां मौजूद नहीं था। एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ऐसे अपराध कारित कर गंभीरतम षडयंत्र कर रहे हैं।

⭕ मैं किसी अपराध में नहीं हूं, मेरे खिलाफ साजिश-भूपेश
पूर्व CM भूपेश बघेल ने इस पत्र के माध्यम यह बताने का प्रयास किया है कि वो किसी भी अपराध में शामिल नहिं हैं, साजिश के तहत उन्हें अपराधों से जोड़ा जा रहा है। उन्होंने लिखा है कि मेरा नाम किसी भी तरह से अपराधों से जोड़ने की कोशिशों का यह अकेला प्रकरण नहीं है। इससे पहले भी जांच एजेंसियों के माध्यम से मेरा नाम किसी न किसी अपराध से जोड़ने की साज़िशें और कोशिशें की जा चुकी हैं। प्रत्येक प्रकरण में अनेक व्यक्तियों को डरा धमका कर ऐसा प्रयास लगातार किया जा रहा है।‌
मसलन, कोयला परिवहन में कथित अवैध वसूली का प्रकरण राज्य में नवंबर 2023 में हुए चुनाव के पहले दर्ज किया गया था। इस प्रकरण में जो गिरफ़्तारियां हुई उसके अतिरिक्त जिन लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया गया उनको ईडी ने शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया और यह दबाव बनाया कि वे इस अपराध में किसी भी तरह भूपेश बघेल की संलिप्तता का बयान दें। इन व्यक्तियों में कुछ तो प्रदेश के प्रतिष्ठित व्यावसायी व उ‌द्योगपति हैं।

⭕ मेरे मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में संचालित महादेव सट्टा
श्री बघेल ने लिखा कि मुख्यमंत्रित्व काल में ‘महादेव ऐप’ के नाम से संचालित अवैध ऑनलाइन सट्टा व्यवसाय के खिलाफ कार्रवाई शुरु हुई। मेरी सरकार ने महादेव ऐप से माध्यम से ऑनलाइन स‌ट्टा कारोबार चलाने वाले लोगों के खिलाफ़ 72 प्रकरण दर्ज किए। सैकड़ों बैंक खाते सील किए गए और करोड़ों की राशि जब्त की गई। मेरी ही सरकार ने महादेव ऐप के संचालकों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया और केंद्र सरकार से गुहार लगाई कि चूंकि ये अपराधी विदेश भाग गए हैं इसलिए केंद्र सरकार उन्हें गिरफ़्तार कर भारत लाने की कार्रवाई करे। परंतु केन्द्र सरकार ने कोई कार्रवाई न कर इसे राजनीतिक रंग दिया।

⭕ मेरे सलाहकार, दो अधिकारी व मित्रों के घर छापा
भूपेश बघेल ने आगे बताया है कि इन्हीं प्रकरणों के आधार पर ईडी ने जुलाई, 2022 में पीएमएलए के तहत यह मामला अपने हाथ में लिया और जांच शुरु की। ईडी ने कुछ गिरफ्तारियां की। इसके बाद सेक्शन 50 के बयानों के आधार पर कार्रवाइयां शुरु हुई। प्रदेश में चुन चुन कर मेरे सभी करीबी लोगों पर इन कथित बयानों के आधार पर छापे मारे गए। मेरे राजनीतिक सलाहकार, मेरे दो विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारियों और मेरे करीबी मित्र के घर ईडी की टीम ने 23 अगस्त 2023 को छापे मारे। ईडी ने जो चालान अदालत में पेश किया है उससे स्पष्ट है कि इनमें से किसी के ठिकानों पर अपराध से जुड़ा ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि उन्हें अभियुक्त बनाया जा सके। परंतु ईडी का उ‌द्देश्य तो चुनाव से पहले प्रदेश में यह संदेश देना था कि भूपेश बघेल के क़रीबी लोगों के घर ऑनलाइन सट्टेबाज़ी के मामले में ईडी की कार्रवाई हुई है और वह उ‌द्देश्य पूरा हो गया।

⭕ पुलिस कर्मी चंद्रभूषण वर्मा पर दबाव बना लिया बयान
बघेल ने लिखा है की पुलिसकर्मी सीबी वर्मा को ईडी ने 21 अगस्त 2023 को गिरफ़्तार किया। जिसे गंभीर शारीरिक एवं मानसिक यातनाएं दी गई। इसी अभियुक्त के कथित बयान पर यह कार्रवाइयां हुईं। उसी व्यक्ति ने 12 दिसंबर 2023 को अदालत में हलफनामा पेश कर यह कहा कि ईडी ने दबावपूर्वक उससे बयान दिलवाया था और वह ईडी के इस बयान का खंडन करता है। इस तरह ईडी ने जिस बयान के आधार पर छापे मारे थे, वह बयान ही वापस ले लिया गया।

⭕ चुनाव के ठीक 5 दिन पहले हुई असीम दास की Entry
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश ने कहा है कि राज्य में चुनाव से ठीक पांच दिन पहले महादेव ऐप के मामले में एक नाटकीय मोड़ आया और ईडी ने 2 नवंबर 2023 को यह दावा किया कि उसने असीम दास नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है और उसके पास से 5.39 करोड रुपए जब्त किए गए हैं। ईडी ने असीम दास के कथित बयान के आधार पर यह दावा किया कि यह पैसे किसी ‘बघेल’ को देने के लिए दिए गए थे। ईडी ने इस दावे के आधार पर प्रेस रिलीज़ जारी कर दी हालांकि इसी प्रेस रिलीज़ में लिखा गया था कि इसका कोई सबूत ईडी के पास नहीं है और यह जांच का विषय है।

⭕ असीम दास ने कहा कि उसे “बलि का बकरा” बनाया
श्री बघेल ने बताया कि 25 नवंबर 2023 को अदालत में असीम दास ने एक हलफनामा दायर किया और कहा कि पूर्व में उसके नाम से प्रचारित बयान उसने नहीं दिया है और वह जब्त किए गए रूपयों के बारे में कुछ नहीं जानता। उसे बलि का बकरा बनाया जा रहा है। चुनाव संपन्न हो गए और दिसंबर, 2023 को कांग्रेस की सरकार हट गई। उसी असीम दास ने 7 जनवरी 2024 को अपने बयान वापसी वाले हलफ़नामे को वापस ले लिया। इस घटना को भी अब 8 सितंबर 2024 को रायपुर केंद्रीय जेल में सूर्यकांत तिवारी के साथ हुए घटनाक्रम से जोड़कर देखा जा सकता है।

⭕ चुनाव के दो दिन पहले “शुभम सोनी” नामक भूत आया
भूपेश बघेल ने पत्र में आगे लिखा है कि चुनाव से दो दिनों पहले 5 नवंबर 2023 को भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में एक पत्रवार्ता में एक वीडियो जारी किया गया। यह वीडियो शुभम सोनी नाम के एक व्यक्ति का था जिसने दावा किया कि महादेव ऐप का असली मालिक वही है और अब तक जिन दो व्यक्तियों (सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल) का नाम महादेव ऐप के संचालकों की तरह हो रहा था वे दोनों दरअसल उसके मैनेजर हैं। इस वीडियो में शुभम सोनी को यह कहते हुए दिखाया गया कि उसने मुझे 508 करोड़ रुपए भिजवाए हैं। चुनाव के ठीक पहले इस वीडियो ने भाजपा को एक मुद्दा दिया।

⭕ ED ने 508 करोड़ के मुद्दे को मुझ पर मढ़ा, सबूत नहीं है
भूपेश बघेल ने लिखा कि ईडी ने जुलाई 2022 को पीएमएलए के तहत मामला अपने हाथ में लिया था। साल भर से अधिक ही जांच और चालान प्रस्तुत होने के बाद भी शुभम सोनी का नाम महादेव ऐप प्रकरण में सामने नहीं आया था पर एकाएक रहस्यमय ढंग से एक नया नाम आया और उस अनजान से व्यक्ति के बयान के आधार पर संवैधानिक ढंग से निर्वाचित एक मुख्यमंत्री पर सैकड़ों करोड़ रुपए के लेनदेन का आरोप ईडी ने लगा दिया हालांकि इस विषय में कोई जांच नहीं हुई और न ही ईडी के पास कोई सबूत थे। कथित तौर पर दुबई में रिकॉर्ड किया गया ये वीडियो भारतीय जनता पार्टी के लोगों तक कैसे पहुंचा? उन्हें यह वीडियो किसने उपलब्ध करवाया?

⭕ महादेव ऐप का मालिक भारतीय दूतावास गया कैसै
श्री बघेल ने कहा है कि बाद में अदालत में पेश एक दस्तावेजों के अनुसार शुभम सोनी दुबई स्थित भारतीय दूतावास भी गया और उसने एक हलफनामा दायर कर वीडियो की बात को बयान के रूप में दर्ज करवाया। यह रहस्य अब तक नहीं सुलझा है कि अगर महादेव ऐप का कथित असली मालिक भारतीय दूतावास तक गया तो उसे गिरफ़्तार क्यों नहीं किया गया? क्यों उसका हलफनामा लेकर उसे जाने दिया गया?

⭕ चुनाव हारने के बाद भी धनशोधन से जोड़ने जुटी है
श्री बघेल के अनुसार जब विभिन्न अपराधों से उन्हें जोड़ने की इन साज़िश का अंदाज़ा उन्हें हुआ तो समय समय पर सार्वजनिक रुप से इस संबंध में बयान दे उन्होंने इन बेबुनियाद आरोपों का खंडन किया लेकिन राज्य में गत वर्ष नवंबर में हुए चुनाव से पहले जिस तरह से मेरा व मेरे साथियों, सहयोगियों और समर्थकों का नाम धनशोधन के विभिन्न मामलों में उछाला गया, उससे स्पष्ट था कि ईडी जैसी एजेंसी किसी के इशारे पर काम कर रही है और चुनाव के समय राजनीतिक उ‌द्देश्यों की पूर्ति के लिए मुझे, मेरी सरकार को बदनाम करने का षडयंत्र कर रही हैं। श्री बघेल ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है चुनाव के बाद भी यह षडयंत्र रुक नहीं रहे हैं और अब मुझे राज्य की एजेंसी एसीबी/ईओडब्ल्यू भी किसी भी तरह से धनशोधन के मामलों से जोड़ने के राजनीतिक षडयंत्र में भागीदार बन गई है।

⭕ अपराध हुआ है तो एजेंसी सबूत सहित दोषी को सजा दिलवाए
श्री बघेल ने पत्र में लिखा है कि वो 1993 से अब तक छ: बार विधायक और प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष भी रहे हैं। वर्ष 2018 में चुनाव जीतने के बाद पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया और पांच वर्ष पद पर रहते हुए उन्होंने संविधान का पूरी तरह से पालन किया और संज्ञान में जो भी गैरकानूनी और आपराधिक मामले सामने आए तत्काल कार्रवाई करने में कोई कोताही नहीं बरती। उन्होंने पत्र में विश्वास दिलाया है कि मैंने किसी भी आपराधिक मामले की जांच में कोई बाधा नहीं डाली। एक संवैधानिक पद पर रहते हुए मैंने किसी भी तरह की जांच का विरोध भी नहीं किया। आज भी मैं हर तरह की जांच में सहयोग के लिए पूरी तरह से तैयार और प्रस्तुत हूं, यदि अपराध हुआ है तो एजेंसी सबूत जुटाए और दोषी व्यक्तियों को सजा दिलवाए।

⭕चार वर्ष में जो घटा उससे गंभीर षड्यंत्र की बू आ रही
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा जो कुछ पिछले चार वर्षों में मेरे साथ घटा है, ईडी ने मुझ पर और मेरे करीबी लोगों पर जिस तरह के गंभीर आरोप लगाने की कोशिश की है, उसमें मुझे एक गंभीर राजनीतिक षडयंत्र की बू आती है। जो कुछ घटा और घट रहा है उसका एकमात्र उ‌द्देश्य मेरी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना, मुझे झूठे और दुर्भावनापूर्ण अभियोजन का शिकार बनाना और इन निराधार और अवैध आरोपों के माध्यम से मेरे राजनीतिक करियर को समाप्त करना है। उन्होंने लिखा है कि इन गतिविधियों का उददेश्य और इरादा, ऐसा प्रतीत होता है कि यह मेरे, मेरे परिवार, मेरे राजनीतिक करियर, मेरे समर्थकों, मेरे भविष्य और मेरी व्यक्तिगत स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचाने के लिए है। इन एजेंसियों ‌द्वारा इन झूठे, अवैध और दुर्भावनापूर्ण कृत्यों का एक मात्र उ‌द्देश्य भी यही नज़र आता है। किसी भी रूप में ये एजेंसियां ऐसी कोई कार्रवाई नहीं करती दिखती है, जिससे उस पर विश्वास किया जा सके।

⭕ कहा-राजनीतिक द्वेष के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए उच्च स्तरीय जांच की तत्काल जरूरत है
चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में भूपेश ने विनम्र प्रार्थना के साथ लिखा है कि छत्तीसगढ़ राज्य में केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के कामकाज के संदर्भ में संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखने के लिए आप हस्तक्षेप करें। इन एजेंसियों के राजनीतिक द्वेष के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए, एक विस्तृत, निष्पक्ष और उच्च-स्तरीय जांच और अन्वेषण की तत्काल आवश्यकता है। इसके लिए अब सिर्फ न्यायापलिका पर ही विश्वास किया जा सकता है इसलिए, मैं विनम्रता से अनुरोध करता हूँ कि केंद्रीय एजेंसियों और राज्य की एजेंसियों की भूमिका और कामकाज की उच्च-स्तरीय न्यायिक जांच की जाए और इस जांच की निगरानी या तो कोई उच्च न्यायालय करे या फिर आप सर्वोच्च न्यायालय की ओर से इसकी निगरानी के आदेश जारी करें।

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