सीजी भास्कर, 14 अक्टूबर। हमारे देश में संपत्ति की सुरक्षा हमेशा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है, खासकर जब इन पर अवैध कब्जे हो जाए तो खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। जमीन और मकान पर अनधिकृत कब्जा (Illegal property occupation) एक आम समस्या है जो न केवल निजी संपत्ति के मालिकों को परेशान करती है बल्कि निवेशकों के विश्वास को भी प्रभावित करती है।
कानूनी प्रोटेक्शन और संपत्ति के अधिकार
यदि किसी की जमीन या मकान पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया जाता है, तो भारतीय कानून उस व्यक्ति को लीगल प्रोटेक्शन प्रदान करता है। अवैध कब्जा (Property dispute resolution) दूर करने और न्याय पाने के लिए पीड़ित व्यक्ति कोर्ट में मामला दर्ज कर सकता है, जहाँ से उसे जमीन और हर्जाना दोनों प्राप्त हो सकता है।
अवैध कब्जे के विरुद्ध लीगल प्रक्रिया
भारतीय दंड संहिता (IPC) के अनुसार जमीन या संपत्ति पर अवैध कब्जा एक अपराध (Criminal trespass) माना गया है और इसे गंभीरता से लिया जाता है। धारा 441 अतिक्रमण को अपराध मानती है जबकि धारा 447 इस पर जुर्माना और जेल की सजा का प्रावधान करती है। ऐसे मामलों में पीड़ित को जल्द से जल्द कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।
संपत्ति पर कब्जा रोकने के उपाय
संपत्ति मालिकों को चाहिए कि वे नियमित रूप से अपनी संपत्ति की देखभाल करें और खाली जमीन या मकान को समय-समय पर जांचते रहें। अगर संपत्ति दूर हो तो उसे किराए पर देना या उसकी निगरानी के लिए किसी विश्वसनीय व्यक्ति को नियुक्त करना उचित होगा। इससे अवैध कब्जे की संभावना कम हो जाती है और संपत्ति सुरक्षित रहती है।
आपको बता दें कि अचल संपत्ति को सबसे सुरक्षित निवेश माना गया है, क्योंकि प्रॉपर्टी को पैसे या जेवर की तरह नहीं चुराया जा सकता है। लेकिन चाहे जो भी हो जमीन और मकान को लेकर हमेशा एक खतरा बना हुआ रहता है। सबसे ज्यादा खतरा कब्जा का बना हुआ रहता है।अधिकतर लोग जमीन पर मकान बनाकर उसे किराया पर चढ़ा देते हैं लेकिन अगर कोई खाली जमीन किराए पर दे दिया होता है या फिर खरीदने के बाद इस खाली जमीन पर ध्यान नहीं दिया होता है तो कई लोग खाली जमीन पर अतिक्रमण कर लेते हैं, इसके बाद वह अस्थाई निर्माण भी कर लेते हैं। देश भर में आए दिन जमीन पर कब्जा के मामले में कई तरह के केस दर्ज होते रहते हैं। जमीनों से जुड़े हुए विवादों को लेकर थाना कचहरी तक लोग पहुंच जाते हैं।
लेकिन जैसे ही वह थाना कचहरी तक अपना विवाद पहुंचते हैं तो ऐसे मामलों को समाधान करने में लंबा समय लग जाता है। इसलिए सबसे बेहतर है कि हम ऐसी नौबत ही नहीं आने दें कि कोर्ट कचहरी के चक्कर हमें लगाने पड़े। भारत में अतिक्रमण या अवैध कब्जा को सबसे ज्यादा अपराध माना गया है इसके लिए कानूनी प्रावधान भी उपलब्ध है। ऐसे में बहुत ही जरूरी है की भूमि अतिक्रमण से निपटने के लिए कानूनी तौर तरीकों के बारे में जान लेना चाहिए।
जमीन प्रतिक्रमण या कब्ज का मतलब यह होता है कि कोई व्यक्ति गैर कानूनी तरीके से किसी भी व्यक्ति के जमीन पर या फिर संपत्ति पर कब्जा कर लेता है या फिर उसे हड़प लेता है। आमतौर पर व्यक्ति जब जमीन पर अतिक्रमण करने के लिए जमीन पर अस्थाई निर्माण कर लेता है।जमीन पर या फिर संपत्ति पर कब्जा करना भारत में अपराध माना गया है। भारतीय दंड संहिता आईपीसी की धारा 441 जमीन हुआ संपत्ति प्रतिक्रमण से जुड़े मामलों पर लागू होता है। यदि कोई व्यक्ति गलत तरीके और नीयत से जमीन या फिर मकान पर कब्जा कर लेता है तो ऐसी स्थिति में सेक्शन 447 के तहत जुर्माना लगाया जाता है और 3 महीने का कारावास की सजा भी सुनाई जाती है।
अगर आपकी लैंड या फिर प्रॉपर्टी या संपत्ति पर अवैध कब्जा हो जाता है तो सबसे पहले आपको संबंधित अधिकारियों से इसकी शिकायत करना चाहिए। जमीन का असली मालिक, अतिक्रमण कार्यों के खिलाफ मामला दर्ज करवा सकते हैं। कोर्ट में याचिका को दायर करने के बाद अदालत अतिक्रमण पर रोक लगा सकती है साथ ही मुआवजे का भी भुगतान करने के लिए आदेश दे सकती है।
भूमिगत ग्रामीण के मामले में मुआवजा कार्यक्रम फोटो जमीन की कीमत के आधार पर तय किया जाता है। यदि अवैध कब्जे के दौरान कोई संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है तो हर्जाना के लिए आर्डर 29 के नियम 1 ,2 और 3 के तहत दावा कर सकते हैं। इसके आलावा भूमि अतिक्रमण की समस्या आप वापसी सहमति से भी खत्म कर सकते हैं। इनमें मध्यस्थ, जमीन का विभाजन, संपत्ति बेचना और किराए पर दे देना जैसा विकल्प भी शामिल होता है।