सीजी भास्कर, 26 जुलाई : दिल्ली विधानसभा चुनाव की हार से हताश आम आदमी पार्टी पांच महीने बाद अब धीरे-धीरे उबर रही है। पार्टी ने कई राज्यों में संगठन को मजबूत करने और प्रचार में तेजी लाने की रणनीति बनाई है। सभी राज्यों के प्रभारियों को सक्रियता बढ़ाने को कहा गया है। राष्ट्रीय स्तर के साथ ही राज्यों में होने वाली बड़ी घटनाओं पर नजर रखने और राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। महत्वपूर्ण राजनीतिक आयोजनों में पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल सहित पार्टी के बड़े नेता वहां पहुंचेंगे। दिल्ली में पार्टी को मजबूत करने की जिम्मेदारी पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी सहित अन्य नेताओं के कंधों पर रहेगी।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा था। फरवरी में विधानसभा चुनाव में हार के बाद वरिष्ठ आप नेता कुछ समय के लिए राजनीतिक गतिविधियों को लेकर शांत से हो गए थे। कारण साफ था कि जिस दिल्ली माडल को लेकर पार्टी देशभर में आगे बढ़ रही थी, उसे दिल्ली की जनता ने दरकिनार कर दिया था।
मत प्रतिशत घटने से पार्टी में तनाव
इसके बाद आप के कार्यकर्ता ही नहीं नेता तक तनाव में थे। तनाव उन नेताओं में अधिक हो गया था, जो एक हजार से लेकर मात्र 600 मतों से हार गए थे। पिछले विधानसभा चुनाव में दिल्ली में आप का मतदान प्रतिशत 43.57 प्रतिशत पर आ गया, जबकि वर्ष 2020 के चुनाव में मतदान प्रतिशत 53.57 प्रतिशत रहा था। पिछली बार की 62 सीटों की जगह इस बार 22 पर सिमटी आप को चुनाव से बड़ा सदमा लगा था।
भाजपा पर बोलेगी दोतरफा हमला
अब दिल्ली में भाजपा सरकार बने हुए पांच माह गुजर चुके हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो आम आदमी पार्टी ने अब जो रणनीति बनाई है, उसमें वह भाजपा पर दोतरफा हमला करेगी। एक तरफ पार्टी के बड़े नेता अन्य प्रमुख राज्यों में सक्रियता बढ़ाएंगे और दूसरी तरफ दिल्ली के मजबूत नेता यहां भाजपा के खिलाफ आक्रामक रहेंगे। दूसरे राज्यों के मामले में पार्टी की ओर से बनाए गए प्रभारियों की प्रमुख भूमिका रहेगी। शीर्ष नेतृत्व ने सभी प्रभारियों को हर मुद्दे पर आगे आकर आक्रामक तरीके से प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार रहने के लिए निर्देश दिए हैं।