अफगानिस्तान और पाकिस्तान (Afghanistan Pakistan Border Appeal) के बीच हुए युद्धविराम के बाद भले ही बंदूकें थम गई हों, लेकिन मानवीय संकट और कूटनीतिक तनाव अब भी जारी है। काबुल ने इस्लामाबाद से सख्त लहजे में अपील की है कि सभी सीमा पार क्रॉसिंग तुरंत खोली जाएं, ताकि फंसे हुए अफगान शरणार्थियों को राहत मिल सके।
सीमा बंद होने से बढ़ी मुश्किलें, हजारों शरणार्थी फंसे
अफगान अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान द्वारा हालिया संघर्ष के बाद सीमा बंद किए जाने से व्यापार, परिवहन और लोगों की आवाजाही पूरी तरह ठप हो चुकी है। अनुमान है कि करीब 10 हजार अफगान शरणार्थियों को हिरासत में लेकर डिटेंशन सेंटर भेजा गया है। वहीं हजारों अन्य परिवार गिरफ्तारी के डर से घरों में ही कैद हैं।
इस दौरान अफगान राजदूत सरदार अहमद शकीब ने कहा कि पाकिस्तान सरकार को तत्काल सीमा खोलनी चाहिए, ताकि Refugee Crisis को रोका जा सके।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से दखल की मांग, अधिकार कार्यकर्ताओं की चिंता
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान की इस कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय मानवीय सिद्धांतों के खिलाफ बताया है। प्रवासी अधिकार कार्यकर्ता अलीरेजा करीमी ने कहा कि अफगान शरणार्थियों के साथ इस तरह का व्यवहार Humanitarian Principles का उल्लंघन है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की।
पाकिस्तान ने दी सीमित राहत, केवल लौटने वालों को मिलेगी अनुमति
दूसरी ओर, पाकिस्तानी प्रशासन ने बयान जारी कर कहा कि तोरखम क्रॉसिंग शनिवार को अस्थायी रूप से केवल लौटने वाले अफगान परिवारों के लिए खोली जाएगी। हालांकि, वाणिज्यिक गतिविधियां और सामान्य आवाजाही अगले आदेश तक निलंबित रहेंगी।
सूत्रों के मुताबिक, जिन परिवारों को पाकिस्तान निर्वासित करने की योजना बना रहा है, उन्हें खैबर पख्तूनख्वा के जामरूद क्षेत्र में अस्थायी शिविरों में रखा गया है। यह कदम Border Policy Shift का हिस्सा माना जा रहा है।
शांति के बाद भी अविश्वास कायम, आगे क्या?
युद्धविराम के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा कि वह अफगानिस्तान से दुश्मनी नहीं चाहता, लेकिन उम्मीद करता है कि काबुल अपनी सुरक्षा चिंताओं को गंभीरता से ले।
दोनों देशों के बीच शांति वार्ता भले शुरू हो चुकी हो, मगर सीमा बंद होने और शरणार्थियों की दुर्दशा ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक अफगान सरकार सीमा पार आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाती, तब तक यह Cross-Border Tension खत्म नहीं होगा।
