सीजी भास्कर, 11 मई |
“मैंने मौत को करीब से देखा है, लेकिन हार नहीं मानी। दिल में मां बनने की ख्वाहिश जिंदा थी। मेरी कहानी में आंसू हैं, उम्मीद, दर्द और ढांढस भी है। जिंदगी ने जब दूसरी बार मौका दिया, तो उसे सिर्फ जिया नहीं, बल्कि संवारा। बिना शादी किए जुड़वां बेटियों को गोद लिया। आज आंगन में किलकारियां गूंज रही हैं।”
ये कहानी छत्तीसगढ़ के बालोद जिले की रहने वाली शिक्षिका एनुका शार्वा की, जो ब्रेस्ट कैंसर से जिंदगी की जंग जीतकर मां बनी। एनुका अब सिर्फ मां नहीं हैं, वे बदलाव की वो लौ बन चुकी हैं, जिसने 10 और घरों को रोशन कर दिया।
एनुका शार्वा बताती हैं कि आज उनकी गोद में अधीरा और अद्रिजा की मुस्कान है। मां बनने के लिए शादी करना या बच्चे को जन्म देना जरूरी नहीं। ममता का भाव होना जरूरी है। बच्चियों को देखती हूं, तो जैसे हर बीती तकलीफ पिघल जाती है।
फर्क खून का नहीं, परवरिश का होता है
एनुका शार्वा बताती हैं कि 16 अप्रैल 2023 में एनुवा ने ओडिशा से कारा नाम की संस्था से दोनों बच्चियों को गोद लिया था। 3 साल की अधीरा और अद्रिजा कानूनी रूप से एनुका शार्वा की दत्तक बेटियां हैं। दोनों ही बेटियां उन्हें मैय्या कहकर बुलाती हैं। यह शब्द ही उनके जीवन का सबसे बड़ा पुरस्कार है।
उनका मानना है कि बच्चे किसके खून से हैं, इससे ज्यादा जरूरी है कि उनकी परवरिश कैसी हो रही है। बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं। घर का माहौल और शिक्षा ही उन्हें आकार देती है। टीचर बनने के बाद अब तक 22 बच्चों को पढ़ाने के लिए गोद ले चुकी हैं। हर साल स्कूल में दो बच्चों को गोद लेकर पढ़ाई और अन्य चीजों का भार उठाती हैं।
कई दंपतियों के लिए बनी प्रेरणा, 10 घरों में खुशियां लौटी
एनुका से प्रेरित होकर 10 दंपतियों ने भी बच्चों को गोद लिया है, जो सालों से नि:संतान थे। अब उनके घरों में बच्चों की किलकारियां गूंज रही हैं। वहीं उनके मार्गदर्शन में अभी 15 परिवार ऐसे हैं, जो बच्चा गोद लेने की लिस्ट में वेटिंग पर हैं।
एनुका के इस पहल से उन्हें मुख्यमंत्री, गौरव अलंकर, शिक्षा श्री सहित कई सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। वहीं प्रेरणादायक कार्यों को देखते हुए उन्हें राज्य शिक्षक सम्मान पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है।
कैंसर से जीतकर समाज सेवा का जज्बा
एनुका बताती हैं कि 2017 में जब उन्हें स्तन कैंसर का पता चला तो कुछ पल के लिए लगा सब खत्म हो गया, लेकिन परिवार और दोस्तों के सहयोग से उन्होंने कीमो, सर्जरी और इलाज के दौर से गुजरते हुए बीमारी को हराया। अब वे दूसरों को भी जागरूक कर रही हैं।
स्कूल और समाज में देती हैं कैंसर जांच की प्रेरणा
एनुका शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला डौंडीलोहारा में भौतिक शास्त्र की व्याख्याता हैं। वे छात्राओं को स्वयं टेस्ट करने की सलाह देती हैं। जरूरत पड़ने पर अस्पताल तक ले जाने में भी सहयोग करती हैं।एनुका एक कुशल ओडिशी नृत्यांगना भी हैं।
उन्होंने राज्य स्तरीय कला महोत्सव, विज्ञान मेला और अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सव में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व किया है।