सीजी भास्कर, 23 अगस्त : भारतीय रेलवे अब अपने संचालन तंत्र को पूरी तरह तकनीकी और स्मार्ट बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। भविष्य में यात्रियों को ऐसी ट्रेनें भी देखने को मिल सकती हैं जो पूरी तरह (AI in Indian Railways) पर आधारित हों और बिना लोको पायलट के दौड़ें। उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल प्रशासन ने इसके लिए एक विशेष ऑपरेटिंग एआइ सेल का गठन किया है। इस सेल में दो कर्मचारियों की तैनाती की गई है जो वर्तमान में ट्रेन संचालन में एआइ के उपयोग के संभावित तरीकों पर अध्ययन कर रहे हैं।
पहला एआइ ऑपरेटिंग सेल
यह कदम रेलवे के लिए ऐतिहासिक माना जा रहा है, क्योंकि यह अपनी तरह का पहला एआइ ऑपरेटिंग सेल है जो सीधे ट्रेन ऑपरेशन से जुड़ा है। अभी तक रेलवे केवल क्रू मैनेजमेंट सिस्टम और शंटिंग कार्यों तक ही सीमित तकनीकी साधनों का उपयोग करता था, लेकिन अब (AI in Indian Railways) को इसमें शामिल किया जा रहा है। इस सेल के माध्यम से रेलवे यह देखेगा कि किस तरह एआइ लोको पायलट की ड्यूटी, शंटिंग और ट्रेन शेड्यूलिंग को बेहतर तरीके से संचालित कर सकता है।
यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा पर फोकस
रेलवे ने पहले ही आईआरसीटीसी के जरिए यात्रियों के सवालों के जवाब देने में एआइ का उपयोग शुरू कर दिया है। वंदे भारत जैसी आधुनिक ट्रेनों के फीचर पहले से ही एआइ सपोर्ट करते हैं। अब रेलवे की योजना है कि एआइ को ट्रेन ऑपरेशन और सुरक्षा प्रणालियों से जोड़ा जाए। उदाहरण के तौर पर, लखनऊ से कानपुर के बीच बिछाई जा रही 160 किमी प्रतिघंटे की क्षमता वाले ट्रैक पर लोको पायलटों को क्रू केबिन में ही सिग्नल और पटरियों पर आने वाले अवरोध पहले से दिखाई देंगे। इसके अलावा ‘कवच प्रणाली’ (Kavach System) को भी एआइ से जोड़ा जाएगा, जिससे एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनों की आमने-सामने की टक्कर की घटनाओं को पूरी तरह रोका जा सकेगा। इस प्रक्रिया से (AI in Indian Railways) न केवल यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाएगा बल्कि समयबद्ध संचालन को भी सुनिश्चित करेगा।
पायलट प्रोजेक्ट की तैयारी
लखनऊ मंडल द्वारा बनाया गया एआइ ऑपरेटिंग सेल पहले चरण में खाली रेक की शंटिंग और लोको पायलटों की ड्यूटी शेड्यूलिंग जैसे कार्यों में एआइ को परखेगा। इसके लिए रेलवे ने सॉफ्टवेयर विशेषज्ञों की भी मदद ली है। एक बार पायलट प्रोजेक्ट का मॉड्यूल तैयार हो जाएगा तो इसे सेंटर फॉर रेलवे इंफॉर्मेशन सिस्टम (CRIS) और रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के सामने प्रस्तुत किया जाएगा। इसके आधार पर इसे अन्य मंडलों और जोनों में भी लागू करने की दिशा में निर्णय लिया जाएगा।
भविष्य की दिशा
विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले वर्षों में एआइ से न केवल ट्रेन संचालन की दक्षता बढ़ेगी बल्कि ऊर्जा की खपत और मानव संसाधनों पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। ट्रेनें निर्धारित समय पर चलेंगी और लोको पायलटों पर निर्भरता धीरे-धीरे कम हो जाएगी। इस बदलाव को रेलवे की सबसे बड़ी तकनीकी क्रांति माना जा रहा है। (AI in Indian Railways) का उपयोग पूरी तरह से स्थापित हो जाने के बाद भारतीय रेलवे को वैश्विक स्तर पर भी नई पहचान मिल सकती है।