सीजी भास्कर 20 जुलाई
टोक्यो। जहां एक ओर दुनिया भर की टेक कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को सुपरह्यूमन बनाने की होड़ में लगी हैं, वहीं टोक्यो में हुई एक हाई-प्रोफाइल प्रतिस्पर्धा ने साबित कर दिया कि इंसानी दिमाग अब भी AI से आगे है। AtCoder World Tour Finals 2025 के ह्यूरिस्टिक कॉम्पटीशन में पोलिश प्रोग्रामर प्रजेमिस्लाव डेबियाक (उर्फ Psyho) ने OpenAI के कस्टम AI मॉडल को हराकर दुनियाभर में सुर्खियां बटोरी हैं।
मुकाबले की खास बात
- यह प्रतियोगिता जापान के मशहूर कोडिंग प्लेटफॉर्म AtCoder द्वारा आयोजित की गई थी।
- प्रतियोगियों को 600 मिनट में एक जटिल ह्यूरिस्टिक प्रॉब्लम को सॉल्व करना था।
- इसमें OpenAI का एडवांस्ड कस्टम मॉडल भी हिस्सा ले रहा था, जिसे खासतौर पर ह्यूरिस्टिक ऑल्गोरिदम के लिए ट्रेंड किया गया था।
इंसानी दिमाग बनाम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
प्रजेमिस्लाव डेबियाक ने इस मुकाबले में AI को पीछे छोड़कर यह साबित कर दिया कि इंसानी सृजनात्मकता और रणनीतिक सोच अभी भी मशीनों से अधिक प्रभावशाली है। इस घटना ने एक बार फिर “AI बनाम मानव” की पुरानी बहस को नई ऊर्जा दे दी है।
जॉन हेनरी की ऐतिहासिक कहानी से तुलना
इस मुकाबले को 1870 की जॉन हेनरी बनाम मशीन की ऐतिहासिक घटना से भी जोड़ा जा रहा है, जिसमें एक अफ्रीकी-अमेरिकी श्रमिक ने एक भाप से चलने वाली ड्रिल मशीन को हराया था। ठीक उसी तरह Psyho ने भी आधुनिक मशीन (AI) को हराकर इतिहास दोहराया है।
विशेषज्ञों की राय
OpenAI के पूर्व कर्मचारी रह चुके डेबियाक का यह जीतना सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि यह बताता है कि इंसानों की जिज्ञासा, अनुकूलनशीलता और इनोवेशन आज भी AI की सीमाओं से परे है। तकनीकी जगत के विशेषज्ञों का मानना है कि AI एक बेहतरीन टूल हो सकता है, लेकिन इंसान का विकल्प नहीं।