सीजी भास्कर, 30 जुलाई |
रायपुर।
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) 2021 भर्ती मामले में हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। भर्ती में चयनित और पूरी तरह से बेदाग 60 अभ्यर्थियों को 60 दिनों के भीतर नियुक्ति देने का आदेश जारी किया गया है। कोर्ट ने साफ किया है कि जिन अभ्यर्थियों पर CBI ने अब तक कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की है, उन्हें नियुक्ति पत्र देने से इंकार करना अन्यायपूर्ण और असंवैधानिक है।
योग्यता से चयन, फिर भी नियुक्ति से वंचित
CGPSC ने 26 नवंबर 2021 को 171 पदों के लिए भर्ती विज्ञापन जारी किया था। इसमें डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी, लेखाधिकारी, जेल अधीक्षक और नायब तहसीलदार समेत 20 विभागों में सीधी भर्ती होनी थी। 11 मई 2023 को परिणाम घोषित हुए, जिसमें कई योग्य अभ्यर्थियों का चयन हुआ।
लेकिन जैसे ही रिजल्ट आया, परीक्षा प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे। आरोप लगे कि कई नेताओं और अफसरों के रिश्तेदारों का चयन किया गया है। इसको लेकर पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की और जांच की मांग की। इसके बाद CBI को जांच सौंपी गई।
CBI जांच से अटकी नियुक्तियां
CBI जांच शुरू होते ही राज्य सरकार ने सभी नियुक्तियों पर रोक लगा दी। लेकिन इस रोक का सबसे बड़ा असर उन अभ्यर्थियों पर पड़ा, जिनका चयन योग्यता के आधार पर हुआ था और जिन पर किसी भी प्रकार का आरोप नहीं था।
ऐसे में 60 से अधिक अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और कहा कि बिना किसी जांच या आरोप के उनकी नियुक्ति रोकी जा रही है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है।
हाईकोर्ट ने कहा – “बेदाग अभ्यर्थियों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं”
न्यायमूर्ति अमितेंद्र किशोर प्रसाद की एकल पीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि जिन अभ्यर्थियों पर कोई आरोप नहीं है, उनकी नियुक्ति रोकना गैरकानूनी है। कोर्ट ने कहा, “चयन सूची के कुछ नाम विवादों में हो सकते हैं, लेकिन सभी को दोषी मानकर पूरे प्रोसेस को रद्द करना न्याय के खिलाफ है।”
हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि नियुक्तियां CBI जांच और भविष्य के कोर्ट आदेशों के अधीन रहेंगी। यदि किसी अभ्यर्थी के खिलाफ भविष्य में कोई ठोस सबूत सामने आते हैं, तो राज्य सरकार सेवा समाप्त करने का अधिकार रखेगी।
राज्य सरकार का पक्ष और कोर्ट की आपत्ति
राज्य सरकार ने दलील दी कि भर्ती प्रक्रिया में व्यापक अनियमितता के संकेत मिले हैं और CBI जांच में और नाम सामने आ सकते हैं। इसलिए नियुक्ति रोकना आवश्यक है। लेकिन हाईकोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि बिना किसी ठोस आरोप के नियुक्ति रोकना योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय है।
PSC का बयान
PSC की ओर से अदालत में कहा गया कि आयोग केवल चयन सूची जारी करने तक सीमित है, जबकि नियुक्ति देना राज्य सरकार का अधिकार है। कोर्ट ने PSC और सरकार दोनों को स्पष्ट निर्देश दिए कि निर्दोष और योग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति अब और टाली नहीं जा सकती।
अंतिम आदेश
कोर्ट ने 2 मई को इस याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली थी और 29 जुलाई को आदेश जारी किया। अब सरकार को 60 दिनों के भीतर चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करना होगा।