दुमका (झारखंड):
कभी चीनी से मुंह मीठा किया गया था, आज उसी बेटी के नाम से पूरा गांव गर्व से झूम रहा है। झारखंड की विलुप्तप्राय आदिम जनजाति ‘पहाड़िया समुदाय’ की बेटी बबीता सिंह ने JPSC 2023 परीक्षा में कामयाबी हासिल कर इतिहास रच दिया है। उन्होंने 337वीं रैंक हासिल कर झारखंड प्रशासनिक सेवा (JAS) में अपना स्थान पक्का किया है।
गरीबी से लड़कर पाई ऊंची उड़ान
दुमका जिले के आसनसोल गांव की रहने वाली बबीता सिंह का बचपन अभावों और संघर्षों के बीच बीता। पिता बिंदुलाल सिंह परिवार चलाने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। जब बेटी ने JPSC में सफलता पाई, तब मिठाई खरीदने तक के पैसे नहीं थे। मां ने घर में रखी चीनी से बेटी का मुंह मीठा कर जश्न मनाया।
पढ़ाई छोड़ शादी का दबाव – लेकिन बबीता नहीं रुकीं
चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी बबीता ने दुमका में ही मैट्रिक से लेकर ग्रेजुएशन (बीए) तक की पढ़ाई पूरी की। घरवाले चाहते थे कि वह अब शादी कर ले, लेकिन बबीता ने ठान लिया था कि उसे कुछ बनना है, अपने समुदाय के लिए उम्मीद की किरण बनना है। संसाधनों की कमी और सामाजिक दबाव को दरकिनार कर उन्होंने अपनी राह खुद तय की।
YouTube से पाई मदद, हर दिन 6 घंटे की सेल्फ स्टडी
कोचिंग की सुविधा न होने के कारण बबीता ने YouTube और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से पढ़ाई की। उन्होंने हर दिन 5 से 6 घंटे सेल्फ स्टडी की और पूरी लगन के साथ तैयारी जारी रखी। उनकी मेहनत रंग लाई और JPSC में शानदार सफलता मिली।
पहाड़िया समुदाय की पहली बेटी अफसर बनीं
पहाड़िया जनजाति झारखंड की सबसे पिछड़ी और विलुप्तप्राय जनजातियों में गिनी जाती है। शिक्षा, स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव होने के बावजूद बबीता ने जो कर दिखाया, वह एक मिसाल है। वे संभवतः इस जनजाति की पहली महिला हैं जो प्रशासनिक सेवा में अफसर बनी हैं।
युवाओं के लिए बनीं रोल मॉडल
बबीता सिंह न सिर्फ अपने परिवार के लिए बल्कि पूरे जनजातीय समाज के लिए प्रेरणा बन गई हैं। वे चाहती हैं कि और भी लड़कियां आगे आएं, पढ़ें-लिखें और समाज को बदलने की ताकत बनें। बबीता की कहानी आज उन हजारों युवाओं के लिए उम्मीद की रौशनी है जो संसाधनों की कमी के बावजूद सपने देखते हैं।