सीजी भास्कर, 24 मार्च : रायपुर-विशाखापत्तनम भारतमाला रोड परियोजना में हुए घोटाले (Bharatmala Project Raipur) की जांच ईओडब्ल्यू और एसीबी ने तेज कर दी है। जल्द ही घोटाले में शामिल अधिकारियों से पूछताछ की जाएगी, और उन पर भ्रष्टाचार के तहत अपराध भी दर्ज किया जाएगा। सरकार की जांच में यह सामने आया है कि 43.18 करोड़ रुपये के मुआवजे का गलत तरीके से भुगतान किया गया।
अब तक इस मामले में दो तहसीलदार और तीन पटवारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है, जबकि अन्य बड़े अधिकारियों को भी जांच के दायरे में लाया गया है। रायपुर जिले के अभनपुर में तैनात पूर्व एसडीएम निर्भय कुमार साहू पर आरोप है कि उन्होंने रायपुर-विशाखापत्तनम भारतमाला रोड परियोजना के लिए कुछ भूस्वामियों को गलत तरीके से मुआवजा दिया।
जमीन को टुकड़ों में बांटकर 80 नए नाम जोड़े गए (Bharatmala Project Raipur)
सूत्रों के अनुसार, मुआवजे की राशि लगभग 29.5 करोड़ रुपये है। अभनपुर के ग्राम नायकबांधा और उरला में भू-माफियाओं ने राजस्व अधिकारियों के सहयोग से जमीन को छोटे हिस्सों में बांटकर 159 खसरे में विभाजित कर दिया। मुआवजे के लिए 80 नए नाम रिकॉर्ड में जोड़ दिए गए, जिससे 559 मीटर जमीन की कीमत 29.5 करोड़ रुपये से बढ़कर 78 करोड़ रुपये हो गई। अभनपुर क्षेत्र में 9.38 किलोमीटर के लिए कुल 324 करोड़ रुपये मुआवजे की राशि निर्धारित की गई है, जिसमें से 246 करोड़ रुपये का मुआवजा पहले ही दिया जा चुका है, जबकि 78 करोड़ रुपये का भुगतान अभी रोका गया है।
पिछली तिथि में दस्तावेजों में गड़बड़ी (Bharatmala Project Raipur)
अभनपुर क्षेत्र में तैनात अधिकारियों ने पिछली तिथि में दस्तावेजों में गड़बड़ी की, जिससे जमीन मालिक को नुकसान हुआ। अभनपुर के ग्राम नायक बांधा और उरला में चार एकड़ जमीन, जो सर्वे से पहले एक ही परिवार के पास थी, को सर्वे के कुछ दिन पहले 14 परिवार के सदस्यों के नाम पर बांट दिया गया। इसके बाद, इसी परिवार के सदस्यों को 70 करोड़ रुपये का मुआवजा भी दिया गया। जांच अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन अधिकारियों की इस कार्यप्रणाली का स्पष्ट उल्लेख किया है।
इन पर घोटाले में शामिल होने का आरोप (Bharatmala Project Raipur)
तत्कालीन अनुविभागीय व सक्षम अधिकारी निर्भय कुमार साहू, तत्कालीन तहसीलदार अभनपुर शशिकांत कुर्रे, तत्कालीन नायब तहसीलदार गोबरा नवापारा लखेश्वर प्रसाद किरण, तत्कालीन हल्का पटवारी नायकबांधा जितेंद्र साहू, तत्कालीन हल्का पटवारी नायकबांधा दिनेश पटेल और तत्कालीन हल्का पटवारी टोकरो लेखराम देवांगन समेत अन्य अधिकारियों के घोटाले में शामिल होने के सुबूत मिले हैं।