सीजी भास्कर, 14 मई। न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई (Bhushan Ramakrishna Gavai) 14 मई, बुधवार को देश के अगले प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में पद ग्रहण करेंगे। यह महत्वपूर्ण है कि बीआर गवई देश के पहले बौद्ध मुख्य न्यायाधीश बन रहे हैं। वे 52वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे और अनुसूचित जाति के दूसरे न्यायाधीश होंगे जो सर्वोच्च न्यायिक पद पर आसीन होंगे।
कानून मंत्रालय ने पिछले महीने 30 तारीख को जस्टिस गवई की भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की अधिसूचना जारी की थी। इससे पहले, 16 अप्रैल को सीजेआई खन्ना ने केंद्र सरकार को उनके नाम की सिफारिश की थी। जस्टिस संजीव का कार्यकाल 13 मई को समाप्त हो गया, जबकि जस्टिस गवई का कार्यकाल 6 महीने का होगा, और वे 23 दिसंबर को सेवानिवृत्त होंगे। आज उनका शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जा रहा है।
न्यायमूर्ति गवई (Bhushan Ramakrishna Gavai) न्यायिक विरासत को नई दिशा देने की क्षमता रखते हैं, क्योंकि उन्होंने पहले कई संवेदनशील और संवैधानिक मामलों में महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं। उन्होंने बुलडोजर कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है और इसके खिलाफ सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। संविधान पीठ के सदस्य के रूप में, न्यायमूर्ति गवई कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रह चुके हैं।
सीजेआई गवई का परिचय (Bhushan Ramakrishna Gavai)
सीजेआई गवई (Bhushan Ramakrishna Gavai) का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ। उन्होंने 16 मार्च 1985 को वकालत के क्षेत्र में कदम रखा। 1987 से 1990 तक उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र रूप से वकालत की, इसके बाद नागपुर बेंच में अपने करियर पर ध्यान केंद्रित किया। 1992 से 1993 तक वे नागपुर बेंच में सरकारी वकील रहे। जनवरी 2000 में, न्यायमूर्ति गवई को नागपुर बेंच के लिए सार्वजनिक अभियोजक नियुक्त किया गया।
14 नवंबर 2003 को उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया, और 12 नवंबर 2005 को वे स्थायी न्यायाधीश बने। 24 मई 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। शीर्ष अदालत की वेबसाइट के अनुसार, पिछले छह वर्षों में गवई 700 से अधिक बेंचों में शामिल हुए और लगभग 300 फैसलों के लेखक रहे।