बिहार में रियल एस्टेट परियोजनाओं के लिए सरकार ने सख्त आदेश जारी किया है. आदेश के तहत अब अगर आपको फ्लैट, प्लॉट, दुकान समेत किसी भी तरह के रियल एस्टेट प्रोजेक्ट की खरीद-बिक्री करने के लिए क्यूआर कोड को स्कैन करना होगा. इस आदेश की जानकारी रेरा बिहार की वेबसाइट पर भी अपलोड की गई है. क्यूआर कोड की स्कैनिंग मोबाइल फोन से बहुत आसानी से की जा सकती है.
से में इसका पालन नहीं करने वाले प्रमोटरों और एस्टेट एजेंटों पर कार्रवाई की जाएगी और दोषी पाए जाने पर जुर्माना भी लगाया जाएगा. जारी आदेश के मुताबिक प्रमोटरों और रियल एस्टेट एजेंटों के द्वारा क्यूआर कोड का उपयोग एक मार्च, 2025 से अनिवार्य हो जाएगा. इस नए नियम को खरीदारों और विक्रेताओं के बीच जानकारी के आदान-प्रदान को सरल बनाने और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है.
यूनिक क्यूआर कोड किया है प्रदान
रेरा बिहार के अध्यक्ष विवेक कुमार सिंह ने बताया कि कि क्यूआर कोड का अनुपालन होने से किसी संबंधित परियोजना की विस्तृत जानकारी आसानी से उपलब्ध रहने पर घर, प्लॉट या दुकान खरीदने वालों को किसी भी रियल एस्टेट परियोजना में निवेश करने से पहले सूचित निर्णय लेने में मदद मिलेगी. बिहार रेरा ने सभी निबंधित रियल एस्टेट परियोजनाओं को एक यूनिक क्यूआर कोड प्रदान किया है. वेबसाइट पर जारी आदेश के मुताबिक सभी बिल्डरों और प्रमोटरों को प्राधिकरण को अपनी परियोजना से संबंधित सभी प्रकार के विज्ञापनों में इस क्यूआर कोड को प्रदर्शित करना होगा.
क्या है वजह?
क्यूआर कोड में रेरा निबंधित उस परियोजना से जुड़ी सभी जानकारी होगी. साथ ही परियोजना से जुड़े दस्तावेजों जैसे ब्रोशर, बुकिंग पत्र, वेबपेज आदि पर भी अनिवार्य रूप से क्यूआर कोड का उपयोग करना होगा. बिहार में रियल एस्टेट परियोजनाओं में क्यूआर कोड का अनिवार्य उपयोग एक सकारात्मक कदम है जो पारदर्शिता बढ़ाता है और खरीदारों के लिए जानकारी तक पहुँचने की प्रक्रिया को सरल बनाना है.
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