सीजी भास्कर, 06 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में रविवार को एक बड़ा हादसा टल गया। जिले की महान नदी में उस समय हड़कंप मच गया जब ग्रामीणों से भरी एक नाव अचानक तेज बहाव में पलट गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार नाव में आधा दर्जन से अधिक लोग सवार थे, जिनमें महिलाएं और छोटे बच्चे भी शामिल थे। हालांकि, ग्रामीणों की तत्परता और साहस के कारण सभी सवारों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया और एक बड़ी त्रासदी होने से बचाव (Boat Accident) हो गया।
यह हादसा ओड़गी ब्लॉक के मयूरधक्की और सोहार गांव के बीच हुआ। इस क्षेत्र के लोग रोजाना अपने दैनिक कार्यों और खरीदारी के लिए ओड़गी मुख्यालय की ओर आते-जाते हैं। लेकिन आज भी इस नदी पर कोई स्थायी पुल नहीं है। नतीजतन, ग्रामीणों को आवाजाही के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है और यही कारण है कि अक्सर बरसात के दिनों में खतरा और भी बढ़ जाता है।
लोगों ने नदी में कूदकर बचाई अपनी जान
पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश हो रही है, जिससे महान नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया था। इसी दौरान रविवार को दो छोटी डोंगी नुमा नावों से ग्रामीणों को नदी पार कराया जा रहा था। तभी अचानक एक नाव का संतुलन बिगड़ गया और वह नदी की तेज धारा में पलट गई। नाव पलटते ही सवार लोग घबराकर नदी में कूद पड़े। लेकिन गनीमत रही कि दूसरी नाव में मौजूद ग्रामीणों और किनारे पर खड़े लोगों ने तुरंत मदद के लिए छलांग लगा दी। उनकी फुर्ती और हिम्मत (Boat Accident) के बीच जीवनरक्षक साबित हुई और सभी सवारों को सुरक्षित किनारे ला दिया गया।
ग्रामीणों ने दिखाई बहादुरी, प्रशासन पर उठे सवाल
ग्रामीणों की बहादुरी की हर जगह सराहना हो रही है। लोगों का कहना है कि यदि उन्होंने समय रहते कदम न उठाया होता तो एक बड़ा हादसा हो सकता था। हालांकि इस घटना ने प्रशासन की लापरवाही पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। लंबे समय से ग्रामीणों की मांग है कि इस नदी पर एक स्थायी पुल बनाया जाए ताकि लोगों को इस तरह की जोखिम भरी स्थिति का सामना न करना पड़े। फिलहाल, हादसे (Boat Accident) के बाद प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है और सुरक्षा उपायों पर जोर देने की बात कही है।
ग्रामीणों ने की ये मांग
स्थानीय लोगों ने मांग की है कि जल्द से जल्द महान नदी (Boat Capsized in Surajpur )पर एक स्थायी पुल बनाया जाए, ताकि ग्रामीणों की जान जोखिम में न पड़े और आवागमन सुचारू रूप से हो सके। यह घटना एक बार फिर से इस बात की याद दिलाती है कि गांवों में बुनियादी ढांचे की कमी आज भी लोगों की जिंदगी के लिए खतरा बनी हुई है।