सीजी भास्कर 6 जुलाई ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में रविवार से ब्रिक्स (BRICS) समूह का शिखर सम्मेलन शुरू हो रहा है. इस बार एक महत्वपूर्ण बदलाव ने सबका ध्यान खींचा है – चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं. अपने एक दशक से अधिक लंबे शासन में यह पहली बार है जब शी ब्रिक्स की सालाना बैठक से दूर हैं.शी की गैरमौजूदगी ऐसे वक्त में हो रही है जब ब्रिक्स, जो अब 2024 के बाद 10 सदस्यीय समूह बन चुका है और अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापारिक तनाव और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के दौर से गुजर रहा है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कई देशों पर लगाए गए टैरिफ की समय सीमा 9 जुलाई को खत्म हो रही है, जिससे इन देशों पर साझा रणनीति बनाने का दबाव बढ़ा है.क्या ब्रिक्स अब उतना प्रभावी नहीं रहा?ब्रिक्स की शुरुआत 2009 में ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन के आर्थिक सहयोग समूह के रूप में हुई थी, जिसमें एक साल बाद दक्षिण अफ्रीका जुड़ा. 2024 में इसमें मिस्र, UAE, इथियोपिया, इंडोनेशिया और ईरान को भी शामिल किया गया. अब यह समूह वैश्विक शक्ति संतुलन में बदलाव लाने का प्रयास कर रहा है, खासकर पश्चिमी देशों के प्रभाव को संतुलित करने के लिए.हालांकि, अलग-अलग राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक सोच रखने वाले देशों का यह समूह अक्सर एकजुटता नहीं दिखा पाता है. हाल ही में ईरान पर हुए हमलों को लेकर संयुक्त बयान में अमेरिका और इज़रायल का नाम नहीं लिया गया, जिससे इस समूह में अंर्तविरोध देखने को मिलाभारत को मिल सकता है
कूटनीतिक लाभइस बार की बैठक में भारत ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का केंद्र बिंदु रहने वाला है. चीन और रूस के शीर्ष नेताओं की गैरमौजूदगी से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रमुख मंच मिलने की संभावना है. मोदी ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुइज़ इनेसियो लूला डा सिल्वा के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे.दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा भी सम्मेलन में मौजूद रहेंगे.ब्राजील ने पीएम मोदी के सम्मान में स्टेट विजिट का भी आयोजन रखा है, जो कि 8-9 जुलाई को ब्रासिलिया में होगा.
डॉलर के विकल्प की तलाशब्रिक्स के सदस्य लंबे समय से व्यापार में डॉलर की निर्भरता को कम करने और राष्ट्रीय मुद्राओं में लेनदेन को बढ़ावा देने की बात कर रहे हैं. रूस और ईरान जैसे अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित देशों के लिए यह रणनीति खास मायने रखती है. हालांकि, एक साझा ब्रिक्स मुद्रा की संभावना इस बैठक में कम ही दिख रही है,
क्योंकि इसके विरोध में ट्रंप ने जनवरी में 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी.शी की अनुपस्थिति के मायनेविश्लेषकों के अनुसार, शी जिनपिंग इस समय घरेलू अर्थव्यवस्था पर ज्यादा ध्यान देना चाह रहे हैं. अमेरिका के साथ चल रहे ट्रेड वॉर और आने वाले वर्षों के लिए चीन की नीति-निर्धारण प्रक्रिया इस समय शी की प्राथमिकता बनी हुई है. उनके करीबी सहयोगी ली कियांग को भेजकर चीन ने संकेत दिया है कि वह ब्रिक्स को महत्व देता है, लेकिन यह बैठक किसी बड़े कूटनीतिक घटनाक्रम की अपेक्षा नहीं कर रही है.तो इस वजह से नहीं आ रहे पुतिनशी जिनपिंग अकेले ऐसे राष्ट्राध्यक्ष नहीं हैं जो ब्रिक्स में मौजूद नहीं रहेंगे बल्कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी सम्मेलन में केवल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल होंगे
ठीक उसी तरह जैसे उन्होंने 2023 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित ब्रिक्स बैठक में वर्चुअली हिस्सा लिया था.दरअसल ब्राजील इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) का सदस्य है और उस स्थिति में यदि पुतिन वहां आते तो उन्हें यूक्रेन युद्ध अपराधों के आरोप में कोर्ट के आदेश पर गिरफ्तार करना ब्राज़ील की बाध्यता बन जाती.ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति अधिक महत्वपूर्ण हो गई है, क्योंकि वे इस सम्मेलन में व्यक्तिगत रूप से हिस्सा लेने वाले चंद प्रमुख नेताओं में शामिल हैं.