सीजी भास्कर, 21 जून |
62 साल के डॉ छगनलाल सोनवानी, 26 फीट का कपड़ा निगल जाते हैं, फिर इसे बाहर कर देते हैं, सिर के बल खड़े हो जाते हैं, मोर के पॉश्चर की तरह पूरी बॉडी को बैलेंस कर लेते हैं। दो सड़क हादसे में इनकी पसलियां टूट चुकी हैं, सिर में 40 टांके लगे थे, दोनों पैर फ्रैक्चर हो चुके थे सर्जरी के बाद उनमें रॉड लगी थी।
पूरा शरीर दो से तीन सालों तक दर्द में रहा, मगर योग के जरिए छगनलाल दवाओं पर निर्भरता को खत्म किया। आयुर्वेद के अनुसार डाइट फॉलो करना शुरू किया। आसना प्राणायाम किए और खुद को फिट कर लिया। जो पैर फ्रैक्चर थे उनकी रॉड निकाल ली गई, अब दर्द को हरा चुके हैं। चेहरे पर योग से मिलने वाले आराम की मुस्कान है।
रायपुर के खमतराई के रहने वाले डॉ छगनलाल पेशे से भनपुरी के सरकारी स्कूल के प्रधान पाठक थे। फिलहाल रिटायर हो चुके हैं और अपनी जिंदगी योग के नाम कर चुके हैं। अब बतौर योग ट्रेनर डॉ छगन नई पीढ़ी के बच्चों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। इनसे सीखकर सरकारी स्कूल के बच्चों ने कई राष्ट्रीय योग प्रतियोगिताओं में छत्तीसगढ़ को मेडल दिलाए हैं।
26 फीट कपड़े वाली वस्त्र धौती क्रिया
वैसे तो हर मुश्किल आसन डॉ छगनलाल कर लेते हैं। मगर इनमें सबसे हटकर है वस्त्र धौती क्रिया। इसमें वो 26 फीट लंबे कपड़े को मुंह में डालकर निगल जाते हैं। कपड़ा अंदर न जाए तो बीच-बीच में पानी पीकर उसे अंदर करते हैं। पूरा कपड़ा शरीर के अंदर भेजकर कुछ देर रुकते हैं। इसके बाद कपड़े के लास्ट छोर को खींचकर वापस 26 फीट कपड़ा बाहर निकाल देते हैं।
डॉ छगन बताते हैं कि इस क्रिया से पेट पूरी तरफ हो जाता है। इससे पेट के रोग नहीं होते, कफ खत्म होती है, गंदा फैट बाहर आता है। पूरी बॉडी इससे डिटॉक्स होती है। ऐसे ही अपने शरीर को डॉ छगन अंदर से साफ रखते हैं। वो कहते हैं कि इसे किसी ट्रेनर की निगरानी में ही करना चाहिए, क्योंकि ये एक मुश्किल क्रिया है।
जब बुरी हालत में था शरीर
अपने साथ हुए हादसे के बारे में डॉ छगनलाल बोले- 1992 मेरा रोड एक्सीडेंट हो गया। 3 पसलियां टूट गई, रीढ़ में फ्रैक्चर था, सिर में 40 टांके आए थे। मैं एक बेल्ट बांधकर पड़ा रहता था। खांसी या छींक आ गई तो शरीर में ऐसा दर्द होता था मानों, असंख्य कोड़े पड़ रहे हों। पेट के बल सोया करता था। इलाज के दौरान डॉक्टर्स ने मुझे योग की सलाह दी।