सीजी भास्कर, 27 नवंबर | राज्य में (Chhattisgarh Cold Wave Alert) आज से ठंड और तेज होने की संभावना जताई गई है। अनुमान है कि कई इलाकों में पारा अगले 24 से 48 घंटों में 1 से 3 डिग्री तक गिर सकता है। उत्तरी हिस्सों में अगले तीन दिनों तक शीतलहर की स्थिति बने रहने की आशंका व्यक्त की गई है, जिसके चलते लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
स्वास्थ्य विभाग की एडवाइजरी—अचानक गिरते तापमान में सावधानी बेहद जरूरी
तापमान में अचानक होने वाले उतार-चढ़ाव को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। कहा गया है कि ऐसी स्थिति में हाइपोथर्मिया, सर्दी-जुकाम और वायरल संक्रमण तेजी से बढ़ सकते हैं। इसलिए (Cold Wave Advisory) के दौरान अनावश्यक बाहर निकलने से बचें, यात्रा करें तो पूरी तरह गर्म कपड़ों में रहें और प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखने की कोशिश करें।
मैदानी जिलों का हाल—दुर्ग रहा सबसे ठंडा, रायपुर में भी बढ़ी ठिठुरन
मैदानी इलाकों पर नजर डालें तो दुर्ग इस समय ठंड का केंद्र बना हुआ है। पिछले पाँच दिनों में यहां न्यूनतम तापमान 10°C से बढ़कर 15.2°C तक पहुंच चुका है। दूसरी ओर रायपुर में तापमान 13°C से बढ़कर लगभग 16.8°C दर्ज किया गया। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, रात के समय तापमान अचानक गिरने की स्थिति बनी हुई है।
पिछले 24 घंटे—अंबिकापुर में 7.5°C, दुर्ग में सबसे अधिक अधिकतम तापमान
पिछले 24 घंटों में अंबिकापुर सबसे ठंडा रहा और यहां का न्यूनतम तापमान 7.5°C दर्ज हुआ। यह तापमान एक हफ्ते पहले के 6°C के करीब है, जिसे नवंबर के पिछले कई वर्षों का सबसे कम रिकॉर्ड माना गया था। वहीं दुर्ग में अधिकतम तापमान 31.4°C रहा, जो दिन और रात के तापमान में बड़ा अंतर दिखाता है।
नवंबर महीने के मौसम रिकॉर्ड—कभी तेज गर्मी, तो कभी कड़कड़ाती ठंड
नवंबर आमतौर पर सर्दी की दस्तक का महीना होता है, लेकिन पुराने रिकॉर्ड बताते हैं कि इस समय तेज गर्मी और बरसात जैसी स्थितियाँ भी बनी हैं। 2 नवंबर 1935 को अधिकतम तापमान 35.6°C दर्ज किया गया था, जबकि 22 नवंबर 1883 को न्यूनतम तापमान 8.3°C तक गिर गया था—जिसे आज भी सबसे ठंडी नवंबर रात माना जाता है।
बारिश के पुराने रिकॉर्ड—एक दिन में 70.4 मिमी तक वर्षा दर्ज
नवंबर में बारिश की घटनाएं दुर्लभ होती हैं, लेकिन 1924 में पूरे महीने में 138.2 मिमी बारिश हुई थी। इसके अलावा 2 नवंबर 1930 को सिर्फ 24 घंटे में 70.4 मिमी वर्षा दर्ज की गई थी, जो अब तक का नवंबर महीना का सबसे बड़ा एकदिवसीय रिकॉर्ड है। ये आंकड़े बताते हैं कि नवंबर का मौसम कितना अप्रत्याशित रहा है।
नवंबर का सामान्य मौसम—हल्की हवा, साफ आसमान और ठंड का बढ़ता असर
नवंबर में आसमान आमतौर पर साफ रहता है और हवा धीमी चलती है। बारिश होने की संभावना तभी होती है जब Low Pressure (Chhattisgarh Cold Wave Alert) सिस्टम समुद्र से उठकर अंदरूनी क्षेत्रों की ओर बढ़ता है। इसके अलावा इस महीने तूफान और ओलावृष्टि जैसी घटनाएँ लगभग नहीं के बराबर होती हैं।
मलेरिया का खतरा बढ़ा—दिन में गर्मी, रात में ठंड से मच्छरों की बढ़ोतरी
मौसम बदलने के साथ मलेरिया का खतरा बढ़ने की चेतावनी भी दी गई है। दिन में तापमान ज्यादा रहने और शाम ढलते ही ठंड बढ़ने से मच्छरों के लिए अनुकूल वातावरण बन रहा है। इसलिए स्कूल जाने वाले बच्चों और ऑफिस कर्मचारियों को सलाह दी गई है कि वे गर्म कपड़े साथ रखें, ताकि अचानक तापमान गिरने का असर स्वास्थ्य पर न पड़े।
डॉक्टर की चेतावनी—इस मौसम में संक्रमण तेजी से बढ़ता है
मेडिकल विशेषज्ञों के अनुसार तापमान में तेजी से बदलाव होने पर मलेरिया, वायरल फीवर और सर्दी-जुकाम के केस बढ़ जाते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि—
बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द या बदन दर्द जैसे लक्षण आने पर तुरंत ब्लड टेस्ट करवाएँ।
शाम होने के बाद घर व आसपास मच्छरदानी, कॉइल या लिक्विड का उपयोग करें।
रात में Insecticide Treated Net (LLIN/ITN) का उपयोग अवश्य करें।
घर के आसपास पानी जमा न होने दें—कूलर, गमले, पुराने टायर, बाल्टी आदि को सप्ताह में एक बार साफ करें।
शाम के समय हमेशा फुल स्लीव कपड़े और फुल पैंट पहनें।
