सीजी भास्कर, 22 नवंबर। छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन ने राज्य सरकार के उपेक्षापूर्ण और दमनात्मक रवैये के विरोध में प्रांतव्यापी आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। राजधानी में 19 नवंबर को फेडरेशन की कोर कमेटी की बैठक में 22, 23 और 24 दिसंबर को तीन दिवसीय कलमबंद हड़ताल (Chhattisgarh Employees Strike) करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया।
फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने बताया कि बैठक में प्रदेशभर के अधिकारियों-कर्मचारियों पर हो रही “अवैधानिक एवं दमनात्मक कार्रवाई” की निंदा करते हुए प्रस्ताव पारित किया गया। उन्होंने कहा कि धान खरीदी व्यवस्था में कार्यरत कर्मचारियों पर अनावश्यक दबाव और मानसिक प्रताड़ना बढ़ती जा रही है।
Chhattisgarh Employees Strike एफआईआर निरस्त करने की मांग
फेडरेशन ने मुख्य सचिव से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। रायपुर कलेक्टर द्वारा धान खरीदी में लापरवाही का आरोप लगाकर चार शासकीय कर्मचारियों पर दर्ज कराई गई एफआईआर को निरस्त करने की मांग की गई है। फेडरेशन ने कहा कि कृषि विभाग के सचिव पहले ही निर्देश दे चुके हैं कि धान खरीदी के दौरान कर्मचारियों पर अनुचित कार्रवाई न की जाए, लेकिन इसके बावजूद कार्रवाई जारी है। बैठक में कहा गया कि एक कर्मचारी की गिरफ्तारी पूरे प्रदेश के कर्मचारियों के लिए “काले कानून” जैसी स्थिति पैदा करती है और इसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
फेडरेशन की प्रमुख मांगें (Main Demands)
केंद्र सरकार की तर्ज पर डीए देय तिथि से लागू किया जाए।
डीए एरियर्स को कर्मचारियों के जीपीएफ खाते में समायोजित किया जाए।
सभी कर्मचारियों को चार स्तरीय समयमान वेतनमान दिया जाए।
लिपिक, शिक्षक, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास विभाग सहित सभी संवर्गों की वेतन विसंगतियाँ दूर कर पिंगुआ कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।
प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा गणना करते हुए पूर्ण सेवा लाभ दिया जाए।
पंचायत सचिवों का शासकीयकरण किया जाए।
सहायक शिक्षक व सहायक पशु चिकित्सा अधिकारियों को तृतीय समयमान वेतनमान दिया जाए।
नगरीय निकाय कर्मचारियों को नियमित मासिक वेतन और समयबद्ध पदोन्नति मिले।
अनुकंपा नियुक्ति की 10% सीलिंग शिथिल की जाए।
प्रदेश में कैशलेस स्वास्थ्य सुविधा लागू की जाए।
अर्जित अवकाश के नगदीकरण की सीमा 300 दिन की जाए।
दैनिक, अनियमित और संविदा कर्मचारियों के नियमिकरण की ठोस नीति बने।
