सीजी भास्कर, 19 दिसंबर | Chhattisgarh Fertilizer Black Marketing : केंद्र सरकार ने लोकसभा में खाद की कालाबाजारी, जमाखोरी और गलत सप्लाई पर हुई कार्रवाई के ताज़ा आंकड़े पेश किए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 1 अप्रैल से 28 नवंबर 2025 के बीच छत्तीसगढ़ में 294 खाद विक्रेताओं को नोटिस जारी किए गए। इन्हीं मामलों में 13 लाइसेंस रद्द किए गए और 4 प्रकरणों में एफआईआर दर्ज हुई।
आठ महीनों में बढ़ी निगरानी, दिखा असर
राज्य में खाद वितरण व्यवस्था की जांच के दौरान प्रशासन ने उन दुकानों और एजेंसियों को चिह्नित किया, जहां नियमों का उल्लंघन सामने आया। नोटिस, लाइसेंस निरस्तीकरण और आपराधिक कार्रवाई—तीनों स्तर पर कदम उठाए गए, जिससे छत्तीसगढ़ कुल एक्शन के आधार पर देश में पांचवें स्थान पर पहुंचा।
विधानसभा में उठा मुद्दा, सियासी गरमाहट
मानसून सत्र के दौरान खाद की उपलब्धता और कथित कालाबाजारी को लेकर विधानसभा में तीखी बहस देखने को मिली थी। आरोप लगे कि किसानों को समय पर खाद नहीं मिल रही, जबकि कुछ इलाकों में अवैध जमाखोरी की शिकायतें बढ़ीं। इन्हीं सवालों के बीच केंद्र के आंकड़ों ने कार्रवाई की तस्वीर सामने रखी।
अन्य राज्यों से तुलना में कहां खड़ा छत्तीसगढ़
कुल कार्रवाई के मामले में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर रहा, जबकि राजस्थान दूसरे और मध्य प्रदेश तीसरे पायदान पर हैं। कर्नाटक चौथे स्थान पर रहा और छत्तीसगढ़ पांचवें नंबर पर दर्ज किया गया। यह रैंकिंग नोटिस, लाइसेंस कार्रवाई और एफआईआर—तीनों के संयुक्त आधार पर तय की गई।
कालाबाजारी में यूपी सबसे आगे
देशभर में खाद की कालाबाजारी के मामलों में उत्तर प्रदेश अव्वल रहा। यूपी में 2043 नोटिस जारी हुए, 2742 लाइसेंस रद्द या निलंबित किए गए और 165 एफआईआर दर्ज की गईं। ये आंकड़े देश में सबसे ज्यादा हैं।
जमाखोरी और गलत सप्लाई पर राज्यों का हाल
खाद की जमाखोरी के मामलों में राजस्थान पहले स्थान पर रहा, जहां सबसे अधिक एफआईआर दर्ज हुईं। वहीं गलत जगहों पर सप्लाई और विपथन के मामलों में अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग स्तर पर कार्रवाई देखने को मिली। छत्तीसगढ़ में इस श्रेणी में भी जांच और नोटिस जारी किए गए।
घटिया गुणवत्ता पर महाराष्ट्र की बड़ी कार्रवाई
खराब गुणवत्ता वाली खाद के मामलों में महाराष्ट्र सबसे आगे रहा। राज्य में 1139 नोटिस जारी किए गए। ओडिशा और मध्य प्रदेश भी इस सूची में ऊपर रहे। गुणवत्ता से जुड़े मामलों ने किसानों की चिंता और प्रशासन की जिम्मेदारी—दोनों को रेखांकित किया।
किसानों तक सही खाद पहुंचाने पर जोर
केंद्र और राज्य स्तर पर यह संदेश स्पष्ट किया गया है कि किसानों तक सही समय पर, सही गुणवत्ता की खाद पहुंचाना प्राथमिकता है। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर आगे भी सख्ती जारी रहने के संकेत दिए गए हैं।


