सीजी भास्कर, 6 अगस्त 2025 : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हत्या के एक मामले में एक व्यक्ति को बरी करते हुए कहा कि ठोस और विश्वसनीय साक्ष्य के अभाव में केवल आरोपित के आचरण के आधार पर दोषसिद्धि को उचित नहीं ठहराया जा सकता। जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के जनवरी के आदेश के खिलाफ आरोपित की अपील स्वीकार कर ली। ट्रायल कोर्ट ने आरोपित को हत्या का दोषी ठहराया था, लेकिन हाई कोर्ट ने अपराध को गैर इरादतन हत्या में बदल दिया।
शीर्ष न्यायालय(Chhattisgarh High Court Reversed) ने पाया कि हाई कोर्ट का फैसला कई आधारों पर गलत था। पीठ ने कहा कि पहली गलती यह थी कि हाई कोर्ट ने रिकार्ड पर मौजूद चिकित्सा साक्ष्य की विस्तार से जांच की और फिर अपीलकर्ता द्वारा स्वयं दर्ज कराई गई एफआइआर की विषय-वस्तु के साथ सीधे उसकी पुष्टि करने की कोशिश की। कोर्ट ने कहा कि विशेषज्ञ गवाह का साक्ष्य सलाहकारी प्रकृति का होता है और इसका उपयोग केवल आरोपित को हत्या का दोषी ठहराने के लिए नहीं किया जा सकता है।
राज्य के वकील ने कहा कि अपीलकर्ता ने 2019 में पुलिस थाने जाकर मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। पीठ ने कहा कि किसी भी अन्य साक्ष्य की तरह, अभियुक्त का आचरण(Chhattisgarh High Court Reversed) उन परिस्थितियों में से एक है, जिस पर अदालत रिकार्ड में मौजूद अन्य प्रत्यक्ष या परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के साथ विचार कर सकती है।