रायपुर। इंटरनेट मीडिया का प्रभाव इन दिनों बच्चों के व्यवहार में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। ऐसी ही एक चौंकाने वाली घटना शनिवार को सामने आई, जब स्वामी आत्मानंद बीपी पुजारी स्कूल के कक्षा 9वीं और 10वीं के तीन छात्रों को पढ़ाई में लापरवाही पर डांट लगाई गई। शिक्षकों ने उनकी हरकतों को लेकर अभिभावकों को स्कूल बुलाया, जहां उन्हें और अधिक फटकार मिली।
छुट्टी के बाद डांट से डरकर तीनों छात्र घर जाने के बजाय सीधे रेलवे स्टेशन पहुंचे और बिना किसी योजना के ट्रेन में सवार होकर ओडिशा के टिटलागढ़ पहुंच गए।
ऐसे हुआ घटनाक्रम
शनिवार सुबह करीब 11 बजे तक तीनों छात्र बागबाहरा पहुंच गए। वहां माता चंडी मंदिर में दर्शन किए, प्रसाद खाया और परिसर में ही सो गए। रविवार को वे टिटलागढ़ के लिए रवाना हुए और वहां करीब चार घंटे बिताए। इसके बाद तीनों छात्र वापस रायपुर के लिए निकल पड़े।
बच्चों के पास न तो मोबाइल फोन था और न ही पैसे। उन्होंने लोकल बोगी में सफर किया और अन्य यात्रियों की मदद से ट्रेन बदलते रहे। उन्हें यह भी स्पष्ट नहीं था कि ट्रेन कहां जा रही है, लेकिन किसी तरह वे रायपुर लौट आए।
किसने दी सूचना?
रविवार देर रात एक छात्र चुपचाप घर पहुंच गया और छत पर सो गया, बिना किसी को कुछ बताए। वहीं, दो अन्य छात्र रातभर स्टेशन के पास भटकते रहे। सोमवार सुबह सात बजे ये दोनों छात्र ऑक्सीजोन के पास स्कूल बैग के साथ मिले, जहां परिजनों ने उन्हें ढूंढ निकाला। परिजन बच्चों को समझाकर घर ले गए और पूरे परिवार ने राहत की सांस ली।
शिक्षा और परवरिश को लेकर क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
डॉ. जवाहर सूरीसेट्टी, वरिष्ठ शिक्षाविद के अनुसार “आजकल के बच्चे डांट या सजा नहीं सहना चाहते। वे दिन के आठ घंटे स्कूल में और बाकी समय घर पर रहते हैं, लेकिन माता-पिता द्वारा सही परवरिश नहीं मिल पाने के कारण उनमें अनुशासन की कमी आ रही है। पहले स्कूलों में अनुशासन के लिए डांट और सजा सामान्य बात थी, जो बच्चों के भविष्य के लिए जरूरी होती थी।”
डॉ. वर्षा वरवंडकर, मनोविज्ञानी और करियर काउंसलर के अनुसार “इंटरनेट मीडिया का बच्चों पर असर बढ़ता जा रहा है। मोबाइल में मौजूद गेम्स और रील्स के कारण बच्चे दूसरों की नकल करने लगते हैं। उनमें ‘कुछ नया और तूफानी करने’ की प्रवृत्ति हावी हो रही है, जो उन्हें जोखिम भरे फैसले लेने के लिए प्रेरित करती है।”