सीजी भास्कर, 18 दिसंबर | Chhattisgarh Winter Session : छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र बुधवार को औपचारिक रूप से समाप्त हो गया। 14 दिसंबर से शुरू हुए इस सत्र में कुल 5 बैठकें हुईं, जिनमें सदन की कार्यवाही 35 घंटे 33 मिनट तक चली। सत्र की सबसे खास बात यह रही कि पहले दिन कार्यवाही पुराने विधानसभा भवन में हुई, जबकि इसके बाद नई विधानसभा में सदन संचालित किया गया—जो राज्य के संसदीय इतिहास में पहली बार दर्ज हुआ।
अध्यक्ष ने बताया सत्र को यादगार
सत्र के समापन पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि एक ही सत्र का दो अलग-अलग भवनों में आयोजन छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए ऐतिहासिक अनुभव रहा। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक परंपराओं की निरंतरता और नए दौर की शुरुआत का प्रतीक बताया।
विजन-2047 और अनुपूरक बजट पर फोकस
शीतकालीन सत्र होने के बावजूद सदन में कई महत्वपूर्ण विषयों पर गंभीर चर्चा हुई। राज्य के दीर्घकालिक विकास को लेकर ‘विजन-2047’ पर व्यापक मंथन किया गया। इसके साथ ही अनुपूरक बजट पेश कर जरूरी विधायी प्रक्रियाएं पूरी की गईं, जिससे सरकार की प्राथमिकताओं की झलक सामने आई।
वंदे मातरम् के 150 वर्ष पर विशेष चर्चा
सदन में ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर भी चर्चा हुई। इस दौरान राष्ट्रीय चेतना, स्वतंत्रता आंदोलन और संवैधानिक मूल्यों से जुड़े पहलुओं पर सदस्यों ने अपने विचार रखे, जिससे सत्र को वैचारिक गहराई मिली।
प्रश्नकाल और सूचनाओं में दिखी सक्रियता
पांच बैठकों के दौरान सदन में कुल 628 प्रश्न प्राप्त हुए, जिनमें 333 तारांकित और 295 अतारांकित रहे। इनमें से 11 प्रश्नों पर अनुपूरक सवाल भी पूछे गए। इसके अलावा 232 ध्यानाकर्षण सूचनाएं आईं, जिनमें 70 स्वीकार की गईं और 20 को शून्यकाल में परिवर्तित किया गया। 101 स्थगन सूचनाएं और 196 याचिकाएं भी प्रस्तुत हुईं।
आखिरी दिन नेशनल हेराल्ड पर टकराव
सत्र के अंतिम दिन सदन की शुरुआत हंगामे के साथ हुई। नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर विपक्षी विधायकों ने नारेबाजी की और तख्तियां लेकर सदन में पहुंचे। आसंदी ने तख्तियों के साथ बैठने पर आपत्ति जताई, जिसके बाद स्थिति और तनावपूर्ण हो गई। हंगामे के कारण कार्यवाही दो बार 10-10 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।
सत्ता और विपक्ष आमने-सामने
हंगामे के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोक-झोंक देखने को मिली। नेता प्रतिपक्ष भूपेश बघेल ने जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग का मुद्दा उठाया, जबकि मंत्री अजय चंद्राकर ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए जवाब दिया। सदन में नारे-प्रत्यारोप का माहौल बना रहा।
डिप्टी सीएम की विपक्ष पर टिप्पणी
डिप्टी मुख्यमंत्री अरुण साव ने विपक्ष के प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बार-बार चेतावनी के बावजूद नियमों की अनदेखी की गई। उन्होंने इसे विधानसभा की परंपराओं के खिलाफ बताया और कहा कि इस तरह का आचरण लोकतांत्रिक मर्यादाओं के अनुरूप नहीं है।
स्पीकर ने जताई सख्त नाराजगी
प्रश्नकाल बाधित होने पर स्पीकर डॉ. रमन सिंह ने विपक्ष के व्यवहार पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि लोकहित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा रोकना निंदनीय है और सभी सदस्यों से संसदीय गरिमा बनाए रखने की अपील की। आगे ऐसा न हो, यह सदस्यों के विवेक पर छोड़ा गया।


