सीजी भास्कर 18 दिसम्बर धर्मनगरी हरिद्वार से सामने आई यह घटना इंसानी संवेदनाओं को झकझोर देने वाली है। गंगा के तट, जहां लोग मोक्ष और शांति की कामना लेकर आते हैं, वहीं एक 8 साल के मासूम को उसके ही सौतेले पिता ने बेसहारा छोड़ दिया। यह मामला Child Abandoned at Ganga Ghat के रूप में सामने आया, जिसने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया।
“पापा घुमाने लाए थे…” मासूम की टूटी हुई आवाज
रेस्क्यू के बाद बच्चे ने जो कहानी सुनाई, वह किसी का भी दिल पिघला सकती है। मासूम ने बताया कि उसके पापा उसे घुमाने के बहाने हरिद्वार लाए थे। हर की पौड़ी के पास बाजार देखने की बात कहकर उसे वहीं बैठाया और फिर कभी लौटकर नहीं आए। ठंड में कांपता बच्चा घंटों तक उसी जगह बैठा रहा, यही सोचता रहा कि शायद पापा वापस आ जाएंगे — लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यही दर्द Child Abandoned at Ganga Ghat की सबसे कड़वी सच्चाई है।
भूख और ठंड ने सिखाया जीने का तरीका
पिता के न लौटने पर जब भूख और ठंड असहनीय हो गई, तो बच्चा गंगा घाट के आसपास रहने वाले भिखारियों के पास चला गया। वहीं से उसकी जिंदगी का नया संघर्ष शुरू हुआ। भिखारियों के साथ रहते हुए उसने मांगकर खाना सीखा, रातें घाट पर गुजारीं और खुद को जिंदा रखा। यह मजबूरी भरा संघर्ष Child Abandoned at Ganga Ghat की उस तस्वीर को दिखाता है, जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है।
10 दिन बाद एएचटीयू की नजर पड़ी मासूम पर
गंगा घाट क्षेत्र में चल रहे विशेष सत्यापन और गुमशुदा तलाश अभियान के दौरान एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की टीम की नजर सुभाष घाट के पास रह रहे इस बच्चे पर पड़ी। टीम ने जब बच्चे से बात की, तो उसकी हालत और कहानी सुनकर सभी भावुक हो गए। तुरंत मेडिकल जांच कराई गई और उसे सुरक्षित रूप से कनखल स्थित खुले आश्रय गृह भेजा गया। यह रेस्क्यू Child Abandoned at Ganga Ghat मामले में राहत की पहली किरण बना।
सौतेले पिता की तलाश में जुटी पुलिस
बच्चे ने पूछताछ में अपना नाम गणेश बताया और कहा कि वह पहाड़गंज इलाके का रहने वाला है। उसने बताया कि उसका सौतेला पिता संतोष उसे हरिद्वार लाया था। अब पुलिस बच्चे के परिवार और सौतेले पिता की तलाश में जुट गई है। एक मासूम को इस तरह घाट पर छोड़ देना न सिर्फ अपराध है, बल्कि समाज के लिए भी चेतावनी है। Child Abandoned at Ganga Ghat जैसी घटनाएं सवाल छोड़ जाती हैं—क्या रिश्तों की कीमत इतनी सस्ती हो गई है?
मासूम अब सुरक्षित, लेकिन सवाल बाकी
फिलहाल बच्चा सुरक्षित है, उसे भोजन, कपड़े और देखभाल मिल रही है। लेकिन 10 दिनों तक जो डर, भूख और अकेलापन उसने झेला, वह जिंदगी भर उसके मन में रहेगा। यह घटना सिर्फ एक बच्चे की नहीं, बल्कि उस समाज की भी है, जहां एक मासूम को गंगा के घाट पर छोड़ देना किसी को रोक नहीं पाया। Child Abandoned at Ganga Ghat आज सिर्फ एक खबर नहीं, एक चेतावनी है।


