सीजी भास्कर, 27 नवंबर | छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में KG-2 के एक बच्चे को पेड़ पर लटकाने की घटना ने पूरे प्रदेश में हैरानी फैला दी है। Child Abuse in School से जुड़े इस मामले में हाईकोर्ट ने सीधे जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू कर दी।
चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा—“ये बहुत गलत है, मजाक बनाकर रखा है… एक मासूम के साथ ऐसी ज्यादती कैसे हो सकती है?”
होमवर्क न करने पर टीचर ने बच्चे को पेड़ पर बांधा
मामला नारायणपुर स्थित हंसवानी विद्या मंदिर का है, जहां नर्सरी से लेकर आठवीं तक पढ़ाई होती है। 24 नवंबर को क्लास की टीचर काजल साहू ने बच्चों का होमवर्क चेक किया।
एक बच्चा जब कॉपी नहीं दिखा सका, तो टीचर भड़क गईं। आरोप है कि उन्होंने बच्चे को क्लास से बाहर निकालकर स्कूल परिसर में मौजूद पेड़ पर रस्सी के सहारे घंटों लटकाए रखा। यह वीडियो तेजी से वायरल हुआ, जिससे मामला और गंभीर हो गया।
वीडियो वायरल होते ही हंगामा, पेरेंट्स स्कूल पहुंचकर भड़के
बच्चे को पेड़ से लटकाए जाने का वीडियो किसी ग्रामीण ने अपने फोन में कैद कर लिया था। सोशल मीडिया पर वीडियो आते ही स्थिति बिगड़ गई।
अभिभावक बड़ी संख्या में स्कूल पहुंच गए और घटना के खिलाफ कड़ा विरोध जताया। कई पेरेंट्स ने कहा कि यह व्यवहार “शिक्षा नहीं, क्रूरता है”, और ऐसी हरकत किसी भी शिक्षक को शोभा नहीं देती।
जांच के बाद टीचर हटाई गई, स्कूल को नोटिस
सुनवाई के दौरान राज्य की तरफ से बताया गया कि प्रशासन ने तुरंत जांच की।
जांच में घटना सत्य पाए जाने के बाद टीचर को स्कूल से हटा दिया गया है। साथ ही निजी स्कूल प्रबंधन को नोटिस भेजा गया है कि वे बताएँ—यह सब कैसे हुआ और इसकी जिम्मेदारी किसकी है।
कोर्ट ने शिक्षा सचिव से मांगा शपथपत्र
हाईकोर्ट ने इस घटना को बेहद गंभीर माना। डिवीजन बेंच ने कहा—“इतने बड़े स्कूल में किसी की नजर कैसे नहीं गई? बच्चे को घंटों लटकाया गया, और किसी ने रोका नहीं?”
कोर्ट ने स्कूल शिक्षा सचिव को “व्यक्तिगत शपथपत्र” के साथ 9 दिसंबर तक जवाब देने का आदेश दिया है।
इसमें यह स्पष्ट करना होगा कि –
- दोषी शिक्षकों पर क्या कार्रवाई की गई?
- आगे ऐसी घटना किसी भी स्कूल में न हो, इसके लिए राज्य ने क्या कदम तय किए हैं?
मासूम पर हुई ज्यादती, समाज में व्यापक चर्चा
घटना सामने आने के बाद यह सवाल उठ रहा है कि छोटी कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों पर इस तरह की क्रूरता आखिर कैसे बर्दाश्त की जा सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे बच्चों को सज़ा नहीं, समझ और सुरक्षा की ज़रूरत होती है।
यह मामला केवल एक स्कूल का नहीं, बल्कि School Child Abuse (focus keyphrase) पर बड़ा सवाल है—क्या स्कूलों में निगरानी, नियम और जवाबदेही पर्याप्त हैं?
