सीजी भास्कर, 09 अप्रैल। प्रायवेट स्कूलों में बढ़ती फीस के विरोध में अभिभावकों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
अभिभावक अपने बच्चों की सेहत को लेकर अब चिंतित हैं. वे बता रहे हैं कि शिक्षा निदेशालय के नियमानुसार तय फीस जमा करने के बावजूद उनके बच्चों को प्रताड़ित किया जा रहा है. अभिभावकों का आरोप है कि फीस में अचानक हुई वृद्धि से वे आर्थिक रूप से परेशान हो गए हैं.
शिक्षा मंत्री आशीष सूद का बयान : दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह जानकारी साझा की थी कि डीपीएस, द्वारका ने 2020 से लेकर 2025 तक बीते पांच साल में लगातार 20, 13, 9, 8, 7 फीसदी फीस बढ़ाई है. लिहाज़ा DPS द्वारका समेत 1677 निजी स्कूलों का ऑडिट किया जाएगा.
साथ ही, फीस वृद्धि की जांच के लिए उप-मंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) के नेतृत्व में समितियां बनाई गई हैं. उन्होंने आश्वासन दिया है कि अगले 10 दिन में सभी निजी स्कूलों की फीस वृद्धि का डेटा शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि पारदर्शिता बनी रहे.
आशीष सूद ने यह भी बताया कि पिछले 10 साल में 1,677 निजी स्कूलों में से केवल 75 का ही ऑडिट किया गया था. दिल्ली सरकार निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वृद्धि को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है और शिक्षा का व्यवसायीकरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी देखने को मिल रहे हैं. बीजेपी और आम आदमी पार्टी एक-दूसरे पर निजी स्कूलों को बढ़ावा देने और अभिभावकों की समस्याओं की अनदेखी करने का आरोप लगा रहे हैं.
हाल ही में मनीष सिसोदिया ने सोशल मीडिया पोस्ट कर लिखा, "शिक्षा माफिया की हिम्मत अब दिल्ली में इतनी हो गई है कि छोटे छोटे मासूम बच्चों को क्लासरूम से बाहर बिठाकर प्रताड़ित किया जा रहा है. अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री रहते 10 साल तक किसी की इतनी हिम्मत नहीं हुई ऐसी हिमाकत करने की. अगर आज केजरीवाल सरकार होती तो मासूम बच्चों को इस तरह प्रताड़ित करने वाले ऐसे स्कूल प्रबंधकों को 24 घंटे में जेल में भिजवा देती."
अभिभावकों की मांग
दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) द्वारका में हाल ही में की गई फीस वृद्धि के खिलाफ अभिभावकों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया है. उनका आरोप है कि स्कूल प्रशासन ने बिना उचित अनुमति के फीस में अत्यधिक वृद्धि की है, जिससे वे आर्थिक रूप से परेशान हैं.
अभिभावकों ने तख्तियों पर नारे लिखे: 'प्राइवेट स्कूलों की मनमानी, सरकार की नाकामी' और 'बिना मंजूरी की फीस बढ़ोतरी, शिक्षा नहीं लूट है ये पूरी.'
अभिभावकों का कहना है कि शिक्षा एक मौलिक अधिकार है और इसे सभी के लिए सुलभ और किफायती बनाया जाना चाहिए. वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि निजी स्कूलों की फीस संरचना पर सख्त नियंत्रण रखा जाए और मनमानी बढ़ोतरी पर रोक लगाई जाए.
3-4 लाख का रिफंड भी वापस नहीं कर रहा स्कूल
गौरव, एक अभिभावक, बताते हैं कि DPS द्वारका की शिक्षा निदेशालय (DOE) द्वारा स्वीकृत वार्षिक फीस 93,400 रुपये है, जो मासिक 7,785 के बराबर होती है. हालांकि, स्कूल प्रशासन उनसे 1,90,000 रुपये की मांग कर रहा है, जो स्वीकृत फीस से कई ज्यादा अधिक है. इसके अलावा, पिछले वर्षों का 3-4 लाख रुपये रिफंड भी बकाया है, जिसे स्कूल वापस नहीं कर रहा.
एक और अभिभावक ने बताया, “मेरा बेटा जब से 10वीं कक्षा में प्रमोट हुआ है, तब से उसे सेक्शन आवंटित नहीं किया गया. वह बेहद निराश होकर घर लौटता है.”
20 मार्च से लाइब्रेरी में बैठ रहे बच्चे
महेश मिश्रा: “20 मार्च से हमारे बच्चों को लाइब्रेरी में बैठाया जा रहा है. 21 दिन हो गए हैं, हम कभी DOE ऑफिस तो कभी बाल आयोग में अपील कर रहे हैं. NCPCR, DCPCR जैसे संस्थान भी मदद करने के लिए तैयार नहीं हैं. कानून कहता है कि यदि कोई फीस नहीं देता, तो भी आप बच्चे को प्रताड़ित नहीं कर सकते, लेकिन हम तो कानून के मुताबिक तय फीस समय पर दे रहे हैं.”