सीजी भास्कर, 8 सितंबर। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र से अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू पर अपने परिवार के सदस्यों को ठेके देने का आरोप लगाने वाली एक जनहित याचिका पर तीन हफ्ते के भीतर अपना जवाब (CM Contract Allegations) मांगा है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ को बताया कि राज्य ने सुप्रीम कोर्ट के 18 मार्च के आदेश के संदर्भ में अपना हलफनामा पहले ही दाखिल कर दिया है। यह याचिका गैर सरकारी संगठनों सेव मान रीजन फेडरेशन और वालंटरी अरुणाचल सेना ने दायर की है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश की सरकार सभी ठेके मुख्यमंत्री खांडू के करीबी रिश्तेदारों (CM Contract Allegations) को दे रही है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा कि यह मामला राज्य सरकार के ठेकों में पारदर्शिता की कमी से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने मार्च 18 को दिए आदेश के बावजूद अब तक हलफनामा दाखिल नहीं किया। अरुणाचल सरकार की ओर से पेश वकील ने आरोपों को बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता पुराने मामलों को खींचकर सामने ला रहे हैं। राज्य का कहना है कि कई ठेके 2010 और 2011 के हैं और मौजूदा सरकार पर इनका आरोप लगाना गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सीएजी की रिपोर्ट को भी महत्वपूर्ण (Supreme Court Review) माना है।
कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा कि क्यों याचिका के आरोपों पर अभी तक हलफनामा प्रस्तुत नहीं किया गया। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि ठेकों की पारदर्शिता और सरकारी अनुबंधों में भ्रष्टाचार (CM Contract Allegations) की समस्या गहन है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सरकारी ठेकों में निजी संबंधों के आधार पर लाभ पहुंचाया जा रहा है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने जोर देकर कहा कि अगर इस मामले में तत्काल कार्रवाई नहीं हुई, तो राज्य में भ्रष्टाचार की घटनाएँ और बढ़ सकती हैं।
अरुणाचल सरकार के वकील ने इस बात पर जोर दिया कि पुराने ठेके और वर्तमान प्रशासन के बीच कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता राजनीतिक एजेंडा के तहत पुराने मामलों को उछालकर सरकार की छवि धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि सार्वजनिक हित में दायर याचिका पर सुनवाई महत्वपूर्ण है और सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर ही आगे का निर्णय लिया जाएगा।
मुख्यमंत्रीयाचिका में विशेष रूप से उल्लेख किया गया कि कई ठेके सीधे मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों से जुड़े हैं। इससे सरकारी अनुबंधों में पारदर्शिता की कमी और संभावित भ्रष्टाचार के संकेत मिलते हैं। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों से (Government Accountability) विस्तृत जवाब मांगा है। आगामी सुनवाई में इस मामले पर विस्तृत बहस होगी, जिसमें ठेकों के आवंटन की प्रक्रिया और परिवार संबंधी लाभ का विश्लेषण शामिल होगा।