सीजी भास्कर, 30 जुलाई |
छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बने 1 साल 7 महीने से अधिक हो चुके हैं, लेकिन अब तक मंत्रिमंडल का पूर्ण गठन नहीं हो पाया है। इस बीच मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आज 30 जुलाई को दिल्ली के महत्वपूर्ण दौरे पर रवाना हो रहे हैं। इस दौरे को सरकार और संगठन दोनों के लिए निर्णायक माना जा रहा है।
इस दौरे में सीएम साय की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात तय मानी जा रही है। सूत्रों की मानें, तो कैबिनेट विस्तार और प्रदेश संगठन की नई कार्यकारिणी को लेकर अंतिम मुहर लग सकती है।
19 महीने से दो मंत्री पद खाली
साय सरकार का गठन 13 दिसंबर 2023 को हुआ था। शुरुआती कैबिनेट में 13 में से 12 मंत्री ही शामिल किए गए। इसके बाद लोकसभा चुनाव के दौरान मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे के चलते एक और पद खाली हो गया। इस तरह, वर्तमान में 2 मंत्री पद रिक्त हैं, जिससे भाजपा विधायकों के बीच असंतोष का माहौल बना हुआ है।
संसदीय सचिवों की नियुक्ति पर भी फैसला संभव
सीएम साय की दिल्ली बैठक में संसदीय सचिवों की घोषणा पर भी विचार किया जा सकता है। यह पद पिछली सरकारों में सत्ता-संतुलन बनाने के लिए उपयोग में लाया गया है। अब भाजपा सरकार भी इसी रणनीति के तहत इन पदों पर नियुक्तियां कर सकती है, जिससे क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन साधा जा सके।
पूर्व सीएम भूपेश बघेल का भी था सुझाव
हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुद मुख्यमंत्री साय से संसदीय कार्य मंत्री की नियुक्ति की जरूरत पर चर्चा की थी। उनका कहना था कि विधानसभा की कार्यवाही को बेहतर ढंग से चलाने के लिए यह पद अहम है।
1 अगस्त को सांसदों के साथ डिनर बैठक
सीएम साय, प्रदेश अध्यक्ष किरण देव और संगठन महामंत्री पवन साय के साथ 1 अगस्त को दिल्ली में सांसदों के साथ डिनर आयोजित किया गया है। माना जा रहा है कि इससे पहले ही प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से उनकी निर्णायक बैठक होगी, जिसमें कैबिनेट और संगठन दोनों को लेकर फैसले लिए जाएंगे।
क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरणों पर नजर
सूत्रों के अनुसार, नए मंत्रियों का चयन करते समय बस्तर, रायपुर, और बिलासपुर जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही SC-ST, OBC और सामान्य वर्ग के बीच संतुलन बनाकर प्रतिनिधित्व देने की योजना बनाई जा रही है।
युवा और नए चेहरे होंगे नई कार्यकारिणी में शामिल
भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी का भी पुनर्गठन प्रस्तावित है। इस बार पार्टी का फोकस युवा, महिला, और समाज के वंचित वर्गों पर रहेगा। 2028 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए ऐसे चेहरों को लाया जाएगा जो जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करें।
पार्टी के भीतर भी बढ़ रहा दबाव
भाजपा के वरिष्ठ विधायकों में असंतोष की खबरें तेज हैं। जिन जिलों से भाजपा ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की, वहां से मंत्री न बनाए जाने पर नाराजगी जताई जा रही है। ऐसे में कैबिनेट विस्तार को अब टालना पार्टी के लिए जोखिमभरा हो सकता है।