सीजी भास्कर, 11 अक्टूबर। बहुचर्चित कोल लेवी घोटाला (Coal Levy Scam) मामले में फर्जी दस्तावेज तैयार कर सर्वोच्च न्यायालय को गुमराह करने के आरोप पर ईओडब्ल्यू-एसीबी के तीन वरिष्ठ अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अधिवक्ता गिरिश चंद्र देवांगन की शिकायत पर न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी आकांक्षा बेक की अदालत ने ईओडब्ल्यू-एसीबी के चीफ अमरेश मिश्रा, एडिशनल एसपी चंद्रेश ठाकुर और डीएसपी राहुल शर्मा को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने तीनों अधिकारियों को 25 अक्टूबर (Coal Levy Scam) को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है।
मामला तब सामने आया जब कोल लेवी घोटाले में दर्ज अपराध की जांच के दौरान धमतरी जेल में बंद आरोपित निखिल चंद्राकर को धारा 164 के तहत बयान के लिए मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया था। हालांकि जांच में पाया गया कि न्यायालय में पेश किया गया कथित बयान वास्तविक नहीं था, बल्कि विवेचना अधिकारियों द्वारा अपने कार्यालय में तैयार किया गया था। दस्तावेज पर केवल आरोपी के हस्ताक्षर लेकर उसे असली बताकर सुप्रीम कोर्ट (Coal Levy Scam) में दाखिल कर दिया गया।
फॉरेंसिक विशेषज्ञों की रिपोर्ट में भी पुष्टि हुई कि कथित दस्तावेज में प्रयुक्त फॉन्ट न्यायालय के आधिकारिक फॉन्ट से मेल नहीं खाता। रिपोर्ट में मिश्रित फॉन्ट का उपयोग पाया गया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि दस्तावेज न्यायालय में तैयार नहीं हुआ था, बल्कि यह एक कूटरचित प्रतिलिपि थी।
आरोप है कि जांच अधिकारियों ने इस फर्जी दस्तावेज का उपयोग मामले की गंभीरता दिखाने और निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए किया। अब अदालत ने संज्ञान लेते हुए तीनों अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपना स्पष्टीकरण (Coal Levy Scam) प्रस्तुत करने को कहा है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह आरोप सही पाया गया, तो यह न केवल जांच एजेंसी की विश्वसनीयता पर सवाल उठाएगा, बल्कि इस पूरे घोटाले की जांच की दिशा भी बदल सकता है।