सीजी भास्कर, 02 जुलाई : छत्तीसगढ़ शासन ने एक ऐतिहासिक और मानवीय निर्णय लेते हुए नक्सली हिंसा में शहीद हुए पुलिस सेवकों के परिजनों के हित में अनुकम्पा नियुक्ति की नीति (Compassionate Appointment Policy for Martyrs) में बड़ा संशोधन किया है। मंत्रिपरिषद ने एकजाई पुनरीक्षित अनुकम्पा नियुक्ति निर्देश-2013 की कंडिका 13 (3) में बदलाव करते हुए अब परिजनों को विभाग चुनने का अधिकार देने का निर्णय लिया है।
उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने इस फैसले को शहीदों के सम्मान (Compassionate Appointment Policy for Martyrs) और उनके परिवारों की सुविधा के लिए अत्यंत जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि “शहीद हमारे समाज की अमूल्य धरोहर हैं। उन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर प्रदेश और देश की रक्षा की है। उनके परिजनों को केवल विकल्पहीन नियुक्ति देना न्यायसंगत नहीं था। लंबे समय से शहीद परिवारों की इस मांग को हमने गंभीरता से सरकार के समक्ष रखा और मुझे खुशी है कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद ने यह निर्णय सर्वसम्मति से पारित किया।”
इस संशोधन के अनुसार, अब शहीद पुलिसकर्मियों के परिजनों को अनुकम्पा नियुक्ति (Compassionate Appointment Policy for Martyrs) सिर्फ पुलिस विभाग में सीमित न होकर राज्य शासन के किसी भी विभाग में प्राप्त हो सकेगी, चाहे वह जिला स्तर हो या संभागीय स्तर। पहले यह अनिवार्यता थी कि नियुक्ति उसी विभाग में हो जहां दिवंगत कर्मी सेवारत था। इस व्यवस्था में बदलाव की मांग शहीद परिवारों और संगठनों द्वारा लंबे समय से की जा रही थी।
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय सिर्फ रोजगार नहीं, सम्मान और विकल्प का अधिकार भी है। अब परिजनों को उनके शैक्षणिक योग्यता और पारिवारिक सुविधा के अनुसार विभाग का चयन करने की स्वतंत्रता होगी। इस निर्णय से यह साबित होता है कि राज्य सरकार शहीदों के परिवारों के प्रति न सिर्फ संवेदनशील है, बल्कि उनके सम्मान और भविष्य को लेकर प्रतिबद्ध भी।