सीजी भास्कर, 22 अक्टूबर। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ कांग्रेस में संगठनात्मक हलचल तेज़ हो गई है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, जिला अध्यक्षों की नियुक्ति (Congress District Presidents Appointment) को लेकर कांग्रेस हाईकमान ने अब अंतिम चरण की तैयारी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि 6 नवंबर को होने वाले बिहार चुनाव के पहले चरण के मतदान से पूर्व छत्तीसगढ़ में जिला अध्यक्षों की घोषणा की जा सकती है।
दिल्ली में आज होगी अहम चर्चा
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए छत्तीसगढ़ कांग्रेस के शीर्ष नेताओं — प्रदेशाध्यक्ष दीपक बैज, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को दिल्ली बुलाया है। बैठक में वन-टू-वन चर्चा होगी। बताया जा रहा है कि ताम्रध्वज साहू पारिवारिक कारणों से बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे, लेकिन उन्होंने शीर्ष नेतृत्व को इस संबंध में जानकारी दे दी है।
नए चेहरों पर दांव लगाएगी पार्टी
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस हाईकमान ने “एक व्यक्ति, एक पद” के उदयपुर चिंतन शिविर में तय फ़ॉर्मूले को इस बार सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया है। इस बार किसी भी वर्तमान जिलाध्यक्ष को दोबारा मौका नहीं मिलेगा। इसके तहत पार्टी संगठन में युवाओं, महिलाओं और पिछड़े वर्ग के कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) द्वारा तय किए गए 17 पर्यवेक्षकों ने प्रत्येक जिले से छह-छह नामों का पैनल सौंप दिया है। (Congress District Presidents Appointment) प्रक्रिया के तहत इन नामों पर चर्चा आज की बैठक में होगी।
“संगठन सृजन अभियान” का अगला चरण
कांग्रेस का “संगठन सृजन अभियान” जो गुजरात, हरियाणा और मध्यप्रदेश में पहले ही लागू किया जा चुका है, अब छत्तीसगढ़ में भी पूरी तरह लागू किया जाएगा। 3 अक्टूबर से शुरू हुए इस अभियान के दौरान पर्यवेक्षकों ने जिलों में जाकर दावेदारों, सामाजिक संगठनों, व्यापारियों और स्थानीय पत्रकारों से वन-टू-वन फीडबैक लिया। इसके आधार पर उन्होंने एआईसीसी को रिपोर्ट सौंपी है।
27 जिलों में बदलाव लगभग तय
जानकारी के अनुसार, कांग्रेस के 27 जिला अध्यक्षों के चेहरे बदलना लगभग तय है, जबकि 14 जिलों में आंशिक फेरबदल की संभावना जताई जा रही है। जिन जिलों में मार्च में ही नए अध्यक्ष नियुक्त किए गए थे, वहां भी पर्यवेक्षकों ने उनकी सक्रियता और संगठनात्मक
योगदान की समीक्षा की है।इन जिलों में बालोद, दुर्ग ग्रामीण, कोरबा (शहर और ग्रामीण), बलौदाबाजार, बेमेतरा, सरगुजा, बलरामपुर और नारायणपुर शामिल हैं। नगरीय निकाय चुनाव से पहले जिन जिलों में हाल ही में बदलाव हुआ था — जैसे मुंगेली, बस्तर ग्रामीण और रायगढ़ ग्रामीण — वहां भी रिपोर्ट तैयार की गई है।
गुटबाज़ी से ऊपर उठकर लोकप्रियता को प्राथमिकता
पार्टी सूत्रों ने बताया कि इस बार (Congress District Presidents Appointment) पूरी तरह “जनप्रियता और जमीनी पकड़” के आधार पर होगी। हाईकमान यह संदेश देना चाहता है कि संगठन में अब पुराने समीकरण नहीं, बल्कि जनता के बीच प्रभाव रखने वाले चेहरों को प्राथमिकता दी जाएगी।