सीजी भास्कर, 27 जुलाई : छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य की वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों डीआइजी (प्रशासन) पारूल माथुर और जांजगीर-चांपा के पुलिस अधीक्षक विजय पांडेय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यह नोटिस याचिकाकर्ता विक्की भारती की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किया गया।
पामगढ़ निवासी विक्की भारती के पिता को उनके जीवनकाल में अनिवार्य सेवानिवृत्त कर दिया गया था। किंतु उनके निधन के पश्चात गृह विभाग द्वारा उनके सेवानिवृत्ति आदेश को निरस्त कर दिया गया। इसके चलते विक्की भारती ने अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में आदेश पारित करते हुए उसे अनुकंपा नियुक्ति का पात्र माना और नियुक्ति की कार्रवाई करने का निर्देश दिया। हाई कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को नियमानुसार नियुक्त किया जाए और यह पूरी प्रक्रिया 90 दिनों के भीतर पूर्ण की जाए। परंतु, तय समयावधि बीत जाने के बाद भी विक्की भारती को नियुक्त नहीं किया गया।
यह कहा गया याचिका में-
न्यायालय के आदेश के पालन में देरी और लापरवाही को लेकर याचिकाकर्ता विक्की भारती ने अधिवक्ताओं अभिषेक पांडेय और प्रिया अग्रवाल के माध्यम से हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की। याचिका में कहा गया है कि राज्य के वरिष्ठ अधिकारी कोर्ट के आदेशों की लगातार अवहेलना कर रहे हैं। अधिवक्ताओं ने दलील दी कि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जुलाई 2025 तक कुल 10,148 अवमानना याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं, इससे न्यायालय का कीमती समय नष्ट हो रहा है और याचिकाकर्ताओं को न्याय मिलने में अत्यधिक देरी हो रही है।
कड़ी सजा की भी मांग-
अधिवक्ताओं ने न्यायालय से अनुरोध किया कि अवमानना अधिनियम की धारा 12 के तहत डीआइजी पारूल माथुर और एसपी विजय पांडेय के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। धारा 12 के तहत छह माह की कारावास अथवा 2,000 जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। अधिवक्ताओं ने तर्क रखा कि यह मामला केवल एक आदेश की अवहेलना नहीं बल्कि न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने जैसा है। हाई कोर्ट ने मामले को अत्यंत गंभीरता से लिया और दोनों अधिकारी डीआइजी पारूल माथुर एवं एसपी विजय पांडेय को नोटिस जारी कर तत्काल जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।