सीजी भास्कर, 8 सितंबर : छत्तीसगढ़ की सरकारी बिजली कंपनी में एक बार फिर आंदोलन की आहट सुनाई दे रही है। छत्तीसगढ़ विद्युत संविदा कर्मचारी संघ ने प्रबंधन के रवैये से असंतुष्ट होकर आंदोलन(Contract Employees Strike) की रूपरेखा तय कर ली है। संघ का कहना है कि वर्षों से लंबित मांगों पर केवल आश्वासन मिल रहा है, जबकि ठोस कदम अब तक नहीं उठाए गए। इसी नाराजगी के चलते संघ ने 19 सितम्बर से चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा कर दी है।
संविदा कर्मचारी बोले – अब आश्वासन नहीं, समाधान चाहिए
कर्मचारी संघ का कहना है कि संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण के मुद्दे पर प्रबंधन के साथ कई दौर की बैठक और पत्राचार हुए, मगर हर बार वादे अधूरे रह गए। इस वजह से कर्मचारियों में निराशा और असंतोष बढ़ गया है। संघ का आरोप है कि कंपनी की उदासीनता ने संविदा कर्मियों को मजबूर कर दिया है कि वे आंदोलन का रास्ता अपनाएं।
बढ़ती दुर्घटनाएं और असुरक्षित हालात
संविदा कर्मचारी(Contract Employees Strike) बिजली व्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं। लाइन दुरुस्ती और आपूर्ति बनाए रखने जैसे जोखिम भरे कार्यों में उनकी सीधी भागीदारी रहती है। संघ का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में करीब 40 संविदा कर्मियों की मौत बिजली हादसों में हो चुकी है। इसके बावजूद वे बेहद कम वेतन और बिना सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा के काम कर रहे हैं।
चार चरण में आंदोलन की रूपरेखा
19 सितम्बर – क्षेत्रीय मुख्यालयों में ज्ञापन सौंपा जाएगा।
1 अक्टूबर – सांकेतिक कामबंदी, जबकि 2 अक्टूबर को पूर्ण कामबंदी।
13 अक्टूबर – कंपनी मुख्यालय रायपुर में आमसभा और विरोध प्रदर्शन।
18 अक्टूबर से – अनिश्चितकालीन हड़ताल(Contract Employees Strike) की शुरुआत।
प्रमुख मांगें
सभी संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण।
विद्युत या गैर-विद्युत दुर्घटना में मृत्यु होने पर 25 लाख मुआवजा और आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति।
एकमुश्त वेतन में महंगाई भत्ता और मकान भत्ता शामिल किया जाए।
राष्ट्रीय अवकाश पर कार्य करने पर अतिरिक्त वेतन दिया जाए।
संघ के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई, तो दीपावली के समय प्रदेश भर में बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है।