मुंबई।
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कई नगर निगमों द्वारा मीट की दुकानें और बूचड़खाने बंद रखने के आदेश पर सियासी घमासान मच गया है। MNS प्रमुख राज ठाकरे, शिवसेना विधायक आदित्य ठाकरे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इस फैसले का खुलकर विरोध करते हुए सरकार पर लोगों की आज़ादी छीनने का आरोप लगाया।
राज ठाकरे का तीखा हमला
राज ठाकरे ने कहा, “स्वतंत्रता दिवस पर मीट बैन क्यों? मैंने अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि जो मन में आए, वही खाएं। किसी पर कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिए।”
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह कानून 1988 का है, लेकिन आज़ादी के दिन लोगों की स्वतंत्रता छीनी जा रही है। “कौन क्या खाएगा, ये सरकार या नगर पालिका तय न करे,” ठाकरे ने कहा।
आदित्य ठाकरे भी विरोध में
शिवसेना (UBT) के विधायक आदित्य ठाकरे ने भी आदेश को गलत बताते हुए कहा, “स्वतंत्रता दिवस पर क्या खाएं, यह तय करना लोगों का हक है।”
उन्होंने अपनी परंपरा का उदाहरण देते हुए कहा, “मेरे घर में नवरात्रि के प्रसाद में भी झींगा और मछली होती है, यही हमारा हिंदुत्व है।” साथ ही उन्होंने कल्याण-डोंबिवली के नगर आयुक्त को निलंबित करने की मांग की।
अजित पवार की कड़ी प्रतिक्रिया
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी कहा कि ऐसे प्रतिबंध आमतौर पर आषाढ़ी एकादशी, महाशिवरात्रि या महावीर जयंती जैसे अवसरों पर धार्मिक आस्था को देखते हुए लगाए जाते हैं, लेकिन स्वतंत्रता दिवस पर यह उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की जनता शाकाहारी और मांसाहारी, दोनों तरह का भोजन करती है, इसलिए ऐसे आदेश से अनावश्यक विवाद पैदा होता है।
विवाद का असर
इस मीट बैन के आदेश ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। अब देखना होगा कि सरकार अपने फैसले पर अड़ी रहती है या विरोध के दबाव में इसे वापस लेती है।