सीजी भास्कर, 28 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में (Cows Death Case) को लेकर हुई सुनवाई में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि पशुधन विभाग की ओर से दिया गया शपथपत्र केवल “खानापूर्ति” है। इसमें न तो मवेशियों की वास्तविक संख्या का उल्लेख है, न चारा-पानी या चिकित्सा सुविधाओं का विवरण। कोर्ट ने टिप्पणी की— “ऐसा लगता है मानो रिपोर्ट सिर्फ दिखावे के लिए बनाई गई है।”
गायों की मौत के असली कारणों की मांगी पूरी रिपोर्ट
27 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने पशुधन विकास विभाग के सचिव को निर्देश दिया कि वे विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें, जिसमें (Cows Shelter Management) से जुड़ी हर जानकारी स्पष्ट रूप से दी जाए। कोर्ट ने कहा कि यह जानना जरूरी है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत कैसे हुई और विभाग ने क्या कदम उठाए। अगली सुनवाई अब 19 नवंबर को निर्धारित की गई है।

Cows Death Case खबरों पर लिया गया स्वतः संज्ञान
हाईकोर्ट ने यह मामला तब उठाया जब बिलासपुर जिले के बेलतरा और सुकुलकारी क्षेत्र से मवेशियों की मौत की खबरें सामने आईं। कोर्ट ने इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करते हुए सुनवाई शुरू की। पिछली सुनवाई में विभाग को शपथपत्र देने का आदेश दिया गया था, लेकिन विभाग ने उसे बिना तथ्यों के पेश किया, जिससे कोर्ट नाराज हुआ।
प्रशासनिक लापरवाही पर कोर्ट के सख्त सवाल
सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि 15 अक्टूबर को घटना हुई, लेकिन प्रशासन 23 अक्टूबर तक निष्क्रिय रहा। क्षेत्र में सड़े-गले शवों का मिलना इस बात का सबूत है कि नियमित निरीक्षण (Cattle Monitoring System) की व्यवस्था कमजोर है। कोर्ट ने यह भी कहा कि मृत पशु गौठान के थे या निजी मालिकों के – इस पर भी सरकार के जवाब विरोधाभासी हैं।
Cows Death Case गो-धाम योजना के क्रियान्वयन पर जोर
राज्य सरकार ने बताया कि मवेशियों की देखभाल के लिए “गो-धाम योजना” लागू की गई है, जिसे 6 अगस्त 2025 को सभी कलेक्टरों को भेजा गया था। हाईकोर्ट ने उम्मीद जताई कि अधिकारी इस योजना को पूरी ईमानदारी से लागू करेंगे और हर जिले में इसके परिणाम सामने आएंगे।
खानापूर्ति नहीं, जवाबदेही चाहिए: कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने साफ कहा कि सरकार का रवैया सिर्फ औपचारिकता तक सीमित नहीं रहना चाहिए। मवेशियों की सुरक्षा, भोजन, पानी और स्वास्थ्य की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। विभाग से कहा गया कि वह ऐसी रिपोर्ट पेश करे जो ज़मीनी हकीकत को दर्शाए, न कि फाइलों की औपचारिकता।
