सीजी भास्कर 19 दिसम्बर Cyber Crime Blackmail Kanpur : कानपुर में साइबर अपराधियों ने ठगी के लिए जो ठिकाना चुना, उसने पुलिस को भी हैरान कर दिया। खुले खेत, ट्यूबवेल और पानी की टंकी के पास बैठकर खुद को बड़े अफसर बताने वाला यह गिरोह लोगों को मानसिक डर में डालकर रकम ऐंठ रहा था।
‘मैं डीसीपी क्राइम बोल रहा हूँ…’ से शुरू होती थी ठगी
ठगों का तरीका बेहद चालाक था। फोन उठाते ही खुद को क्राइम ब्रांच या डीसीपी क्राइम बताना, अश्लील वीडियो देखने का आरोप लगाना और फिर गिरफ्तारी की धमकी देना। डर के माहौल में पीड़ितों से तुरंत पैसे ट्रांसफर करवा लिए जाते थे।
व्हाट्सएप प्रोफाइल से बनाते थे भरोसे का जाल
जांच में सामने आया कि आरोपी अपने व्हाट्सएप अकाउंट पर पुलिस अधिकारियों की फोटो लगाते थे। इससे कॉल रिसीव करने वाला व्यक्ति आसानी से भ्रमित हो जाता और खुद को अपराधी समझने लगता।
एक शिकायत ने खोली पूरी परत
यह पूरा मामला तब उजागर हुआ जब श्रावस्ती निवासी एक युवक ने साइबर ठगी की शिकायत दर्ज कराई। उसे पोर्टल ट्रैकिंग और जेल भेजने की धमकी देकर हजारों रुपये ऐंठ लिए गए थे।
सर्विलांस से खेत तक पहुंची पुलिस
शिकायत मिलते ही साइबर क्राइम टीम ने तकनीकी सर्विलांस के जरिए लोकेशन ट्रेस की। देर रात गजनेर इलाके में दबिश देकर पांच आरोपियों को मौके से गिरफ्तार कर लिया गया।
गिरफ्तार आरोपी, सरगना फरार
पुलिस के अनुसार गिरफ्तार किए गए आरोपी अलग-अलग इलाकों से जुड़े हैं और लंबे समय से इस नेटवर्क में सक्रिय थे। गिरोह का मुख्य सरगना अभी फरार है, जिसकी तलाश में लगातार दबिश दी जा रही है।
डर ही था इनकी सबसे बड़ी पूंजी
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे अपराधों में डर सबसे बड़ा हथियार होता है। कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर न तो पैसे मांगती है और न ही गिरफ्तारी की धमकी देती है।
सावधान रहें, तुरंत शिकायत करें
यदि कोई खुद को पुलिस या अधिकारी बताकर फोन पर डराने की कोशिश करे, तो उसे गंभीरता से न लें। ऐसे मामलों में तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज कराना ही सबसे सुरक्षित कदम है।


