सीजी भास्कर, 20 सितंबर। राजधानी में एक महिला वैज्ञानिक से साइबर ठगी का बड़ा मामला सामने आया है। ठगों ने खुद को दिल्ली पुलिस (Cyber Fraud), ट्राई और सीबीआई (Cyber Fraud) अधिकारी बताकर महिला से 42 लाख रुपये ठग लिए। महिला तिरुपति अपार्टमेंट, टैगोर नगर रायपुर में रहती हैं और चंडीगढ़ स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी में चीफ साइंटिस्ट पद से सेवानिवृत्त हैं।
जानकारी के अनुसार 18 सितंबर को महिला के मोबाइल पर फोन आया। कॉल करने वाले ने खुद को ट्राई का अधिकारी बताते हुए कहा कि उनके नाम से जारी सिम कार्ड से ब्लैकमेलिंग कॉल जा रहे हैं। इसके बाद कॉल ट्रांसफर कर दिया गया और दूसरे व्यक्ति ने खुद को दिल्ली पुलिस (Cyber Fraud) का अधिकारी बताया। उसने महिला को भरोसे में लेते हुए कहा कि मुंबई में उनके नाम से बैंक खाता खोला गया है और उसमें मनी लॉन्ड्रिंग के तहत 30 लाख रुपये जमा हुए हैं।
CBI अधिकारी बनकर किया वारंट का डर
इसके बाद कॉल को तीसरे नंबर पर ट्रांसफर कर दिया गया। इस बार सामने वाले ने खुद को सीबीआई (Cyber Fraud) अधिकारी बताया और कहा कि महिला के खिलाफ वारंट जारी किया जा चुका है। उनके सभी बैंक खाते और संपत्तियां जब्त कर ली जाएंगी। महिला घबराई और बचाव के लिए पूरी तरह ठगों की बातों में आ गई।
रकम ट्रांसफर करने के बाद खुला खेल
ठगों ने कहा कि बैंक खाते की जांच के लिए रकम ट्रांसफर करनी होगी, जो बाद में लौटा दी जाएगी। महिला ने भरोसा कर लिया और 19 सितंबर को एसबीआई पीबीबी सिविल लाइन शाखा से 42 लाख रुपये RTGS के जरिए स्टेक इनोवेशन ओपीसी प्राइवेट लिमिटेड, धारवाड़ (कर्नाटक) के खाते में भेज दिए।
जब मांगी निवेश की जानकारी तो हुआ शक
रकम ट्रांसफर करने के बाद ठगों ने महिला से उनके म्यूचुअल फंड और अन्य निवेश (Cyber Fraud) की जानकारी मांगी। यहीं से उन्हें शक हुआ कि उनके साथ धोखाधड़ी हो गई है। तब जाकर महिला ने रायपुर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। अब मामला साइबर सेल और संबंधित थाने की जांच में है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में रकम की रिकवरी और आरोपियों की पहचान के लिए जांच की जा रही है। शुरुआती पड़ताल में यह संगठित गिरोह का काम लग रहा है, जो दिल्ली और कर्नाटक में सक्रिय है।