सीजी भास्कर 10 अक्टूबर दिल्ली दंगा (Delhi Riots) मामले में जेल में बंद जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद (Delhi Riots Umar Khalid) ने गुरुवार को कोर्ट में जोरदार दलीलें दीं। उनके वकील का कहना है कि पुलिस ने जानबूझकर उनके मुवक्किल को टारगेट किया, जबकि चार्जशीट में जिन वॉट्सएप ग्रुपों का ज़िक्र है, उनके एडमिन और बाकी सदस्य अब तक आरोपियों की सूची में शामिल नहीं हैं।
वॉट्सएप ग्रुप को लेकर सवाल
बचाव पक्ष की ओर से वकील त्रिदीप पेस ने कड़कड़डूमा कोर्ट के एडिशनल सेशन जज समीर बाजपेयी के सामने कहा कि अगर सिर्फ वॉट्सएप ग्रुप में शामिल होना ही अपराध है, तो फिर एडमिन और अन्य मेंबर्स को छोड़कर केवल उमर खालिद को ही आरोपी क्यों बनाया गया? उन्होंने सवाल उठाया कि इस सिलेक्टिव एक्शन का आधार क्या है।
‘साजिश वाली बैठक’ पर भी बहस
चार्जशीट में दावा है कि खालिद 8 दिसंबर 2019 को जंगपुरा में एक बैठक में शामिल हुए थे। पेस ने दलील दी कि उसी बैठक में कार्यकर्ता योगेंद्र यादव और मानवाधिकार कार्यकर्ता नदीम खान भी मौजूद थे। ऐसे में उन्होंने कोर्ट से पूछा कि अगर वही मीटिंग “साजिश” कहलाती है, तो फिर बाकी प्रतिभागियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई, और केवल खालिद को ही आरोपी क्यों बनाया गया।
विरोध और आतंकवाद का फर्क
वकील पेस ने कहा कि गवाहों ने बयान दिया है कि खालिद ने छात्रों, खासकर मुस्लिम छात्रों, से देशभर में प्रदर्शन करने की बात कही थी। उन्होंने कोर्ट से सवाल किया कि क्या विरोध प्रदर्शन को सीधे आतंकवाद से जोड़ना सही है। उनके मुताबिक, Delhi Riots Umar Khalid केस में यह सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर प्रदर्शन और हिंसा में फर्क कैसे किया जा रहा है।
पांच साल से जेल में कैद
उमर खालिद सितंबर 2020 से जेल में हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने 2020 के दिल्ली दंगों में मास्टरमाइंड की भूमिका निभाई, जिसमें 53 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों घायल हुए। उनके खिलाफ यूएपीए के तहत केस दर्ज किया गया था। हाल ही में हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया। अब इस केस की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी।