सीजी भास्कर, 5 अक्टूबर। मंदिर जाना, पूजा-पाठ करना, कथा-भागवत करना ही धर्म नहीं है, बल्कि अधर्म के विरुद्ध आवाज उठाना ही सबसे बड़ा धर्म है। मैं हमेशा अधर्म के खिलाफ बोलता हूं, चाहे घटना प्रदेश में हो या देश में। कुछ लोगों को यह बातें पचती नहीं हैं, इसलिए मेरे खिलाफ अफवाहें फैलाते रहते हैं। मैं किसी धर्म का विरोध नहीं करता, बल्कि केवल सनातन धर्म का समर्थन करता हूं। यह बातें बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Shastri Raipur Katha) ने कहीं।
अवधपुरी मैदान गुढ़ियारी में पांच दिवसीय कथा
गुढ़ियारी स्थित अवधपुरी मैदान में शनिवार से पांच दिवसीय श्री हनुमंत कथा का शुभारंभ हुआ। मंगलाचरण के बाद पं. शास्त्री ने कहा कि बड़े सौभाग्य से मनुष्य तन मिलता है और उसमें भी भारत जैसा वतन तथा सनातन जैसा धर्म। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में जन्म होता तो बम बनाते, कथा सुनने का अवसर नहीं मिलता। चीन वालों को देखकर लगता है कि ब्रह्माजी ने सभी को फोटोकॉपी बना दिया है।
कथा में दिया आध्यात्मिक संदेश
पं. शास्त्री ने कहा कि 84 लाख योनियों के बाद मनुष्य का जन्म मिलता है और उसे सार्थक बनाना चाहिए। सनातन धर्म (Dhirendra Shastri Raipur Katha) में जन्म लेने के बाद भी यदि कथा न सुन पाए तो इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ और नहीं। उन्होंने कहा कि रामजी की कृपा के बिना सत्संग में आना संभव नहीं है। कथा सुनने आना महत्वपूर्ण है, लेकिन उससे भी बड़ा महत्व है कथा को आत्मा में बैठाना और जीवन को सही दिशा देना।
राजनीतिक और सामाजिक हस्तियां भी रहीं मौजूद
कथा में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, आयोजक बसंत अग्रवाल सहित अनेक सामाजिक और धार्मिक हस्तियां मौजूद रहीं। कथा स्थल पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटे और माहौल भक्तिमय हो गया। आयोजकों के मुताबिक कथा प्रतिदिन शाम चार बजे से शुरू होकर रात तक चलेगी।
अधर्म के खिलाफ आह्वान
पं. धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Shastri Raipur Katha) ने दोहराया कि अधर्म चाहे कहीं भी हो, उसका विरोध करना ही धर्म है। उन्होंने कहा कि वे हमेशा सनातन संस्कृति (Hanumant Katha Raipur) और उसकी परंपराओं का समर्थन करते रहेंगे। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने जय श्रीराम और बजरंगबली के जयकारे लगाकर पूरा वातावरण गूंजा दिया।
श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
गुढ़ियारी स्थित अवधपुरी मैदान पर रविवार को दूसरे दिन भी हजारों श्रद्धालु पहुंचे। महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों ने मिलकर कथा का आनंद लिया। पंडित शास्त्री ने अपने प्रवचन में समाज को यह संदेश दिया कि जीवन को सुधारने के लिए धार्मिक ग्रंथों की कथाओं को आत्मसात करना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि श्री हनुमंत कथा (Hanumant Katha Raipur) केवल सुनने की चीज नहीं है, बल्कि इससे जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना चाहिए।